मुहब्बत में नाकामी दिल जला बना दिया
मिलन की आरजू ने मजनूं बना दिया
उल्फत में उनके रात दिन यूँ बैचेन रहते हैं
इक दीदार के वास्ते खुद को पागल बना दिया
जुदाई का गम सहना बहुत ही मुश्किल
खाक में मुहब्बत कलेजे चीर के रख दिया
अधूरी हसरतों की जैसे धज्जियाँ उड़ गई
अब परछाइयाँ ने भी उनका साथ छोड़ दिया
किसी से मिलना बिछुड़ना अपने बस में कहां
रब के इशारा ने जैसे दो प्रेमी को मिला दिया
No comments:
Post a Comment