Sunday 28 July 2019

सावन आया

विधा- मनहरण घनाक्षरी ( कवित्त)
8,8,8,7
पिया  सावन आ गया
गगन घन छा गया
बूँदे नेह जगा गया
मन दहक रहा  ।

कोकिल गीत सुनाती
सखियां कजरी गाती
प्रिया पिया पुकारती
मेघ बरस रहा ।

 झूले पड़े हैं बागों में
 मेंहदी रची हाथों में
 मन पी के बातों में
 हियरा भीग रहा ।

हरी भरी है वादियां
कुसुमित है बगिया
मधुमास जगत भाया
भ्रमर गूँज रहा ।

प्रियतम हो बाँहों में
भींग रहें हो राहों में
अगन लगी दिलों में
प्रेम छलक रहा ।

हियरा अगन लगी
अंतस प्यास जगी
आतुर कीट पतंगा
उर आह भर रहा ।

पीत पर्ण झड़ गए
तरू पल्लवित हुए
 प्रेममय जगत हुआ
 मदन जाग रहा ।

वर्षा ऋतु अति प्यारी
सुरमयी सांझ न्यारी
प्रियतमा दिल हारी
 प्रेमी मचल रहा ।

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