दुर्मिल सवैया (आठ सगण 122)
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सुन साजन प्यार मुझे करना,तुम रूठ रहे दिल टूट गया
तुमसे यह जीवन है अपना ,,उर प्रीत भरे भरपूर पिया ।
तुझ संग जुड़ा यह जीवन है,तुम जो बदले जग छूट गया
जब खोट नहीं तुझमें सजना,, फिर कौन कहे रब रूठ गया ।
जगती अखियां अब देख रहीं, सपना जब प्रीतम बाँह भरे ।
अपनी सब ही बतियाँ बतला,, कर वो मुझ से इकरार करे ।
जब नैन मिले उनसे फिर तो ,,मिलके शिकवे सब आज करे
खुशियाँ कितनी मिलती, बरसों,,प्रिय साथ रहे बस प्यार करे ।
जब दो दिल एक हुए हिय में,,तब प्रीत पगे, छुपके सबसे ।
जब साथ रहे बनती बिगड़ी,, खुद ही फिर प्रेम करे उनसे ।
इतरा कर मैं मन की करने,, पलटी मुख फेर लिये उनसे ।
पल में पिघली दृग नीर बहे, उनको फिर देख लिये जबसे ।
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