Sunday 28 July 2019

लाड़ली की विदाई

विधा- मालिनी छंद वर्णिक
आठ / सात वर्ण पर यति
111  111    222      122   122
पल पल दिल रोता,,जा रही छोड़ लाड़ो
तुम बिन अब कैसे,,वक्त बीते पहाड़ों
हृदय व्यथित भेजा,, संग डोली नगाड़े
घर पर तनया की ,माँ अभी भी दहाड़े

हर पल स्मृति में ही,, गोद मासूम लेटी
शिखर सम पिता भी,, है खड़ा देख बेटी
सहज गुनगुनाती,, बेतहासा अभी दौड़ी
मुड़ कर जब देखा ,, वो पिता धाम छोड़ी

नयन जल बहे हैं ,, क्यों जरूरी विदाई 
चलन जगत की क्यों  ,, है तनुजा पराई
बिछुड़ कर सुता तो,, भूल जाती रवानी
बचपन छिन लेती,, है जवानी  दिवानी

रज कण बिछ जाए,,राह आशीष पा ले
तज कर पितु गेहों ,को जहाँ तू बसा ले
उथल पुथल भारी,,है नई जो बहारें
बरबस अब लाई,,, नेह बूँदें फुहारे 

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