संस्मरण ( यात्रा)
बाबा तुंगनाथ ओढरदानी के दर्शन को निकल पड़ी पति संग ।कुछ घंटे उपरांत हम बादलों के आगोश में थे।नयनाभिराम दृश्यों का अवलोकन करते हुए तथा
गगनचुम्बी पर्वत मालाओं को चीरते हुए हम पहुँच चुके
थे, दुगलबिट्टा गेस्ट हाउस में । अप्रतिम प्राकृतिक
सौंदर्य से लबालव हमारा विश्राम गृह ,वहाँ के अनुपम दृश्य ने हमें सम्मोहित कर दिया ।उस रोमांच को महसूस तो हमने कर लिया पर लिखने के लिए शब्द नहीं मिल
रहा कल कल झरनों की धुन कानों में मिश्री घोल रही थी,
बाँझ बुराँस और रंग बिरंगे फूलों से भरी घाटी का रूप अलौकिक है।चूँकि दुगलबिट्टा के पहले से ही सैन्चुरी एरिया शुरू हो जाता है -इसलिए यहाँ बिजली की स
सुविथा नहीं पर,सोलर ऊर्जा के द्वारा प्रकाशित होते गेह।
विश्राम गृह में चिमनी का भी प्रबंध था ।चौकी दार ने गर्म
पानी आदि का व्यस्था संभाल लिया ।गाँव के भोले पहाड़ी बहुत ही नेक और कोमल हृदय के होते हैं ।इनके
सेवा भाव से मन प्रसन्न हो गया ।
अगले सुबह बाबा के दर्शन के लिए चोपता पहँच गई
पति संग, कुछ स्टाफ हमारे साथ हो लिए थे ।
चोपता से तुंगनाथ भोले बाबा के दर्शन के लिए हमने
घोड़े ले लिए ।सूर्योदय के रश्मियों से घाटी और निखरी
निखरी दिख रही थी ।मौसम भी बिलकुल साफ था सो
प्रकृति के अलौकिक रूप को नैनों ने खूब पान किया ।
हृदय आनंद से विभोर हो रहा था।वैसे तो हम यदा कदा
पहाड़ों की सैर पर निकलते ही रहते हैं ।हर्सिल की यादें
अभी भी ताजा है जेहन में, परंतु चोपता की अपनी
अलग खूबसूरती है ।
हमने स्वीटजरलैन्ड तो नहीं देखा पर कहते हैं चोपता मिनी स्वीटजरलैन्ड है,सचमुच इस सौन्दर्य के आगे काश्मीर भी फीका है ।
तुंगनाथ बाबा एक दम टाॅप पर विराजमान हैं ।अगर मौसम साफ है तो केदारनाथ, बद्रीनाथ , मदमहेश्वर ,
गंगोत्री, यमुनोत्री के ग्लेसियर बिलकुल पास दिखता है।
हमने भक्ति भाव से शिवपूजन किया ।बहुत सारी फोटो ग्राफी की ।आते वक्त हम टुरिष्ट बन प्रकृति का आनंद
लेते हुए जगह जगह बुग्याल (हरी दूब से ढकी घाटी ) में ,
झरने के किनारे फोटोग्राफी करते हुए अपने गन्तव्य
रूद्रप्रयाग की ओर निकल पड़े ।सचमुच उत्तराखंड को
धरती का स्वर्ग कहें तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं ।
देवताओं के निवास और प्रकृति के सुन्दरता से भरी अलौकिक दृश्य प्रचुरता से विराजमान है...।🌹
उषा झा स्वरचित
देहरादून उत्तराखंड