Monday 17 July 2017

खुशियाँ

खुशियाँ नहीं मिलती बाजार में
और न ही मिलती फरियाद से ...
खुशियाँ न किसी से छिना जाता
न ही मिलता अधिकार से ...
ये तो किसी के दिलों में उतरकर
स्नेहहिल बनने से ही मिलता है ...
खुशियों की सिढियाँ चढ़ने के लिए
बहुत से पथरिलि रास्ते से गुजरना
पड़ता है ...
सब्र से काम लेने वाले ही
सफलता का स्वाद चखते हैं ..
खुशियों को भर लो दामन में
न जाने ये पल मिले ना मिले ...
जिन्दगी बार बार मौके नहीं देती
कोई रूठ गए तो उसे मना लो ...
गर वो रूठकर चले गए सदा के लिए
तो बेपनाह दर्द दे जाते हैं ...

No comments:

Post a Comment