नेह स्नेह और फर्ज समझ कर
सब रिश्ते निभा लो जीवन में
दूर रहो मोह माया के बंधन से
खुद को न जकड़ो अनुराग से
गर टूट गए रिश्ते तो दर्द सह
न पाओगे ....।
लगा है मुखौटा,कौन पहचानता
सूख गए नेह, उर टेसू न खिलता
बेइन्तहा लगाव बोझ ही बनता
त्याग से प्यार फलता फूलता
रिश्ते को कितने भी जतन से
बाँध लो स्नेह के शूचि धागों से
नेहबंधन लोग तोड़ ही देते हैं
अधिक मीठा भी तीखा लगने
लगता है.. ।
रिश्ते घुट कर दम तोड़ देते हैं
पिंजरे में बंद पंछी के तरह ही
जल्दी ही वो छटपटाने लगते हैं
कर दो आजाद नेह बंधन को
लौट के आना होगा अगर तेरे हैं.. ।
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