Friday 28 July 2017

भोर

चिड़ियों के कलरव से
आँखें खुली
भोर हुई  ..
देख गगन में लाली
रवि रोशनी बिखेर
जग को जगाने की
कर रहे तैयारी ..
सुहाने ताजगी लिए
मस्त पवन के झोंके
दिल को शुकुन भरी
शितलता दे कर रहे
विभोर भोर ..
दूर कहीं मंदिरों में
गूँज रही है घंटियों
की धुन ,सुन मन जुड़
रहे अध्यात्म की
ओर..
सोचती हूँ कई बार
रात घनेरी के बाद
भोर न होते तो
सब तरस ही जाते
एक एक पल रोशनी
के लिए ..
ऐसे ही जीवन में
अंधियारी दुख दूर कर
रब भर दे ..
सुख के अनंत
उजियारे पल ..

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