सपने में हमदम को अपना बना लिया
हसरतें हुई पुरी खुदा को ही बुला लिया
तुमसे मिले कितने मुद्दत की बात हो गई
तेरी सूरत को मैंने नयनों में बसा लिया
जाने मुझे किस बात की सजा दी तुमने
क्या भूल हुई है तुमने दामन छुड़ा लिया
मिलन की अब कोई सूरत नजर नहीं आती
बस यादों को मैंने अपने दिल में समा लिया
विरह के दिन नागिन सा डसते हैं मुझको
पीर में मैंने अपना जीवन को मिटा लिया
वफा में लौटकर तुमको आना ही पड़ेगा
पि के वास्ते ,मैंने खुद को ही मना लिया
उम्मीद है विदा होंगे जुदाई के ये लम्हें
सपनों में सही मैंने बाँहों में छुपा लिया
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