लिपटे बादल पर्वत पे ऐसे, दो प्रेमी फिदा देख लिया
मूंडेर से बादल के आगोश में चाँद डूबा देख लिया
रोज पहाड़ों के ओट से डूबते सूरज देखना सुहाता
छत से ही उनके नजरों में प्यार का बयां देख लिया
कदम न चाहते उठ जाती थी बारहां मूड़ेर पर मेरी
दिल ने दिल में इश्क की ज्वाला छुपा देख लिया
हर दिन का फसाना एक आदत सी ही बन गई
फूल देने के बहाने महबूब का वफा देख लिया
न जाने कैसे सबके जुबां पर हमारी कहानी बनी
बिन बोले ही सजदे में मिरे को झुका देख लिया
हौले हौले कब तुम मेरी जिन्दगी में शामिल हो गए
बिन बताए एक दूजे ने प्रीत का धुआं देख लिया
इकरारे मुहब्बत से पहले हम दोनों ही जुदा हो गए
बनते बनते प्यार का फसाना मैंने टूटा देख लिया
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