काश ऐसा हो गणतंत्र हमारा
जब न हो अबलाओं का चीरहरण
भ्रष्टाचारी हो जेल के अंदर
भय मुक्त हो समाज हमारा
तब औचित्य गणतंत्र दिवस ..
आओ मनाओ मिल जुलकर ..
देश का भी सम्मान इसी से
जब न हो किसी का अपमान
कोई वंचित न हो अधिकारों से
सबको मिले सुरक्षा कानूनी
तब है औचित्य गणतंत्र दिवस
आओ मनाओ मिल जुलकर ..
उँच नीच और जाति पाति का
गर भेद भाव न हो किसी से
गले लगा ले सब नेह स्नेह से
वंचित न हो कोई दो जून की रोटी से
तब है औचित्य गणतंत्र दिवस
आओ मनाओ मिल जुलकर ..
नेताओं की न चले मनमानी
झूठे सब्ज बाग दिखाकर
अपनी झोली वोट बैंक से भरकर
भोले भाले जनताओं के न चूसे खून
तब है औचित्य गणतंत्र दिवस
आओ मनाओ मिल जुलकर ..
देश के आन बान शान पर
हर कोई अपनी जान बिछा दे
विद्रोहियों का हिम्मत न हो
भंग न करे देश की मर्यादा ..
तब है औचित्य गणतंत्र दिवस
आओ मनाओ मिल जुलकर ...
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