Thursday 31 May 2018

औरत की मृत्यु ...*कलयुगी बेटा *

 पुलिया के नीचे बोरी मे लाश पड़ा देख कुछ लोगों ने थाने में सुचित कर दिया । लाश के चारों तरफ काफी भीड़ इकट्ठी हो गई । थोड़ी ही देर में पुलिस की गाड़ी भी आ गई ।
वो लाश को चेक करने लग गए ,पर चेहरा इस कदर बिगड़ा
हुआ था कि पहचानना मुश्किल हो रहा था ।
जल्दी ही ये खबर आग की तरह फैल गई । आसपास के थानों में भी लाश मिलने की सूचना दे दी गई ।
कुछ घंटों बाद बगल के थाने से सूचना आई कि दो दिन पहले एक औरत अपने बड़े बेटे के घर से कहीं चले जाने की रपट लिखाई है।
आनन फानन में पुलिस वाले उस महिला को बुला लिया , फिर उसे लाश पहचानने को कहा गया पर वो मुकर गई ।
जब पुलिस वाले ने सख्ती दिखाई तो जल्दी ही वो उखड़ गई।
फिर फफकने लगी..रोते रोते  उसने जो बताया सुनके सब अबाक रह गए ...
वो कहने लगी साब मैं क्या करती! उसने कोई चारा ही नहीं छोड़ा.."कहते हुए भी अपने आप पे घीन आती है ..उसने मेरे कोख को शर्मशार कर दिया ।"
पिता के मौत के बाद कितने कठिन से दोनों बेटों को मैंने पाला..पर गलत संगति में पड़कर बड़ा बेटा शराबी बन गया ।
 शराब के नशे में अपनी माँ के अस्मत पे हाथ डालने लगा।लोक लज्जा के कारण किसी को कुछ बताने में खुद असमर्थ पाती । ऐसे ही कुकर्मी के कारण औरत की मृत्यु होती ..
धरती पर इस पापी को जीने का कोई हक नहीं था, "इसलिए
 मैंने छोटे बेटे के साथ मिलकर घात लगाकर गला रेत डाला ," और बोरी में भर कर रातों रात छोटे ने दूर नदी में पुलिया के  नीचे  फेंक दिया । "पर सच के तो पीछे भी दो आँखें होती  ..
छुपती कहाँ है सच्चाई ! "
उस अबला की कथा सुन सबके मन द्रवित हो उठे , "घोर कलयुग आ गया आपस में सब कानाफूसी कर रहे थे! "

औरत की मृत्यु ...*कलयुगी बेटा *

 पुलिया के नीचे बोरी मे लाश पड़ा देख कुछ लोगों ने थाने में सुचित कर दिया । लाश के चारों तरफ काफी भीड़ इकट्ठी हो गई । थोड़ी ही देर में पुलिस की गाड़ी भी आ गई ।
वो लाश को चेक करने लग गए ,पर चेहरा इस कदर बिगड़ा
हुआ था कि पहचानना मुश्किल हो रहा था ।
जल्दी ही ये खबर आग की तरह फैल गई । आसपास के थानों में भी लाश मिलने की सूचना दे दी गई ।
कुछ घंटों बाद बगल के थाने से सूचना आई कि दो दिन पहले एक औरत अपने बड़े बेटे के घर से कहीं चले जाने की रपट लिखाई है।
आनन फानन में पुलिस वाले उस महिला को बुला लिया , फिर उसे लाश पहचानने को कहा गया पर वो मुकर गई ।
जब पुलिस वाले ने सख्ती दिखाई तो जल्दी ही वो उखड़ गई।
फिर फफकने लगी..रोते रोते  उसने जो बताया सुनके सब अबाक रह गए ...
वो कहने लगी साब मैं क्या करती! उसने कोई चारा ही नहीं छोड़ा.."कहते हुए भी अपने आप पे घीन आती है ..उसने मेरे कोख को शर्मशार कर दिया ।"
पिता के मौत के बाद कितने कठिन से दोनों बेटों को मैंने पाला..पर गलत संगति में पड़कर बड़ा बेटा शराबी बन गया ।
 शराब के नशे में अपनी माँ के अस्मत पे हाथ डालने लगा।लोक लज्जा के कारण किसी को कुछ बताने में खुद असमर्थ पाती । ऐसे ही कुकर्मी के कारण औरत की मृत्यु होती ..
धरती पर इस पापी को जीने का कोई हक नहीं था, "इसलिए
 मैंने छोटे बेटे के साथ मिलकर घात लगाकर गला रेत डाला ," और बोरी में भर कर रातों रात छोटे ने दूर नदी में पुलिया के  नीचे  फेंक दिया । "पर सच के तो पीछे भी दो आँखें होती  ..
छुपती कहाँ है सच्चाई ! "
उस अबला की कथा सुन सबके मन द्रवित हो उठे , "घोर कलयुग आ गया आपस में सब कानाफूसी कर रहे थे! "

Wednesday 30 May 2018

सूरज छिपने तक ..*आखिरी भेंट *

तड़के सुबह ही पापा इस दुनिया को छोड़ कर न जाने किस अज्ञात दुनिया को प्रस्थान कर गए । जिसने ही सुना, आश्चर्यचकित रह गए । चारों ओर हाहाकार मच गया, सहसा किसी को विश्वास ही नहीं हो पा रहा था । कोई कहते, कितने भले चंगे थे, बेटी के पास जब जा रहे थे प्रिन्सिपल साहब को मैंने देखा था ..वो तो अभी जवान ही दिख रहे थे !
सचमुच मैं एक दिन पहले ही उनको स्टेशन से लाई थी, कितने स्वस्थ दिख रहे थे । रास्ते में हिमालया का तुलसी अर्क, जिसका सेवन हमेशा वो करते थे ..खरीदे । घर आके प्रेम पूर्वक खाना खाए । रात में अच्छी नींद भी आयी उन्हें । सुबह वाक पे गए ।
सुबह के नास्ते और दोपहर के खाने तक भान ही नहीं हुआ उनके अस्वस्थ होने का । अंतिम बार उनके लिए खाना बना रही, आखिरी भेंट हो रही है उनसे ये एहसास ही नहीं हुआ .. तो क्या सचमुच वो मुझसे ही मिलने आए थे? सब कहते, तू इतनी दूर घर से रहती हो, कभी माँ पापा को कुछ होगा तो देख भी नहीं पाओगी ..
विधि का विधान देखिए, वो ही मेरे पास इतने दूर से चलके आ गए !!
मैं पापा के शरीर पर चंदन लगाते हुए फूट फूटकर रो रही थी ।खुद को दोष दे रही थी.. पापा मम्मी मुझसे मिलने न आते तो शायद उन्हें कुछ नहीं होता । क्यों नियति ने इतना बड़ा मजाक किया ? सोच सोच के पागल सी हो रही थी..सबको एक मौके तो मिलते ही है, पर ईश्वर ने हम सबको पापा के लिए कुछ करने का वक्त ही नहीं दिया ..
वो तो अपने सारे बच्चों को डॉ ही बनाना चाहते थे, दामाद भी डॉ ही लाए ..फिर क्यों नहीं किसी को मौका दिए, अपने लिए कुछ करने को!
कैसे कैसे सवाल हृदय को छलनी कर रहे थे, पर इसका जवाब हमें कौन देता!
आधे घंटे के अंदर पापा हम सबको छोड़ कर हमेशा के लिए चले गए । माँ को संभालना बहुत मुश्किल हो रहा था   ।
सबसे कहती कितने अच्छे थे ग्यारह बजे तक तो बातचीत किए मेरे संग, साढ़े बारह बजे गैस का प्रोब्लेम हुआ तुम लोग हाॅस्पिटल से इंजेक्शन लगाने ले गए..फिर सही सलामत लौटाके क्यों नहीं लाए उनको ?मुझे भी साथ लेके नहीं गए.. तुम सबने मुझे कुछ भी क्यों नहीं बताया?
किसी के पास कोई जवाब नहीं था, उनके आगे सब अपराधी के तरह सिर झुका रखे थे..
पापा को भाभी और मेरे पति लेके हाॅस्पिटल गए, क्योंकि वो डाॅ थे। माँ और हम सब घर में रह गए । वो बात तक कर रहे थे । घर लाने की बातचीत चल रही थी। चूँकि ई सी जी में हार्ट प्रोब्लेम सामने आ चुका था, इसलिए डाॅ के राय से हाॅस्पिटल में भर्ती कराना उचित लगा । अभी रूम में ले जाने की तैयारी हो ही रही थी कि पापा को जोरदार अटैक हुआ और चंद पल में सब कुछ खत्म!
खैर डॉ ने कहा सिभियर एम आई एटैक पड़ा, जिसमें उनको बचाने का पाँच मिनट का मौका नहीं मिला ..
खैर होनी तो होके रहता है, भगवान कभी अपने पे आरोप कहाँ लेते हैं ! डॉ पे ही हमसब अपनी अपनी भड़ास निकालने लगे ।
धीरे धीरे सभी रिश्तेदार भी पहुँच गए । आखिरी संस्कार की तैयारी होने लगी ।सहसा पंडित जी ने कहा सूरज छिपने वाले हैं पार्थिव शरीर को उठाने में अब देर न करो !
हम सभी विह्वल हो गए, भाई ने कांधा देके पापा को जैसे ही उठाया माँ के हृदय विदारक विलाप से सबका कलेजा दहल गया..

Tuesday 29 May 2018

मरे हुए लोग ....*हैवान*

केदारनाथ में एक वृद्धा जार जार रोये जा रही थी ।सबने जब रोने का कारण पूछा तो उसने बताया, बेटा बहू ये कहके गए,अभी आते हैं..पर काफी देर से आए नहीं । मैंने माता जी को पास जाकर चुप कराने की काफी प्रयास किया, पर वो चुप ही नहीं हो रही थी, "मैनें उन्हें समझाया , "अभी आ जाएँगे ! हो सकता है बाजार में प्रसाद ले रहें हो, और भीड़ में फँस गए हो"..पर मेरे लाख समझाने के बावजूद भी वो चुप नहीं हो रहीं थी ।  ऐसा लग रहा था, "मानो उनके दिल ने गवाही दे दी ..शायद छोड़ के चले गए बेटा- बहू ।"
उसके दर्द भरे आँसू ने, मुझे अंदर तक पिघला दिया ।भींगी पलकों से उन्हें देखकर सोचने लगी, "क्या इसी दिन के लिए बच्चों को पालते हैं? "
 फिर हम सबने  पुलिस को बुलाया ,और सारी बातों की जानकारी दी ।
वृद्धा के आई डी प्रुफ, लेकर पुलिस ने जाँच शुरू कर दी । आगे के थाने में वायरलेस से सूचना दे दिए गए, वृद्धा की तस्वीर, आई डी प्रूफ सभी पुलिस वाले के व्हाटसप पे भेज दिया गया ।
चार पाँच घंटे में ही उस युवक और युवती को संदेह होने के आधार पर पकड़ लिया गया । जब उससे पूछा गया कि ,अपनी माँ को कहाँ छोड़ आए हो, तो उसने बोला माँ तो आई ही नहीं .. फोटो दिखाने पे भी उसने पहचानने से साफ इन्कार कर दिया । वो बड़ा ही ठीठ सा, भावहीन दिख रहा था ।अफसोस और शर्मिन्दगी तो दिख ही नहीं रहा था उसका चेहरा । 
 युवक और युवती को केदारनाथ लाया गया, वृद्धा बेटे को देख रोने लगी,पर वो हैवान तो माँ को स्वीकार ही नहीं कर रहा था।
पुलिस वाले ने जब सख्ती दिखाई ,और कहा," अगर प्रुफ हो जाएगा तू ही बेटा है, तो जेल में ही सड़ जाएगा."..
बात बढ़ते देख, "बेटा बहू गिड़गिड़ाने लग गया ..मुझे माफ कर दीजिए कहके रोने लग गया ...बनावटीपन साफ झलक रहा था उसको देखकर ।"
लोग आपस में कह रहे थे,"सचमुच घोर कलयुग आ गया है ..कैसे कैसे मरे लोग जी रहे हैं !"

Sunday 27 May 2018

किसान

धन्य वो धरती पुत्र किसान
दिन रात मेहनत करते
अपने खून पसीने बहाते
बंजर में भी हरियाली लाते
हम सबके वो अन्नदाता महान..

रोज सवेरे उठकर चल देते
खेतों व बागों को सींचने
कंधे पे हल साथ बैल व कुदाल
भूखे रह कर भी वो मुसकुराते
कर्मनिष्ट किसान हिम्मत से जीते ..

सच्चे कर्मठ यकिन कर्मों पे करते
ऊपर वाले की रहमत न भी हो
पहाड़ों को खोद नीर ले आते
घबराते नहीं वो विपत्तियों से
किसान हाथों पे ही भरोसा करते ..

प्रकृति के बेरूखी से नहीं हारते
सुविधा व साधनविहिन होके भी
विचलित कभी न वो होते हैं
खुद ही किस्मत की रेखा बनाते
सच्चे किसान उम्मीद में ही जीते..

 बच्चों के भाँति खेतों की रक्षा करते
 कर्जों में डूबकर भी कमी न करते
 उर्वरक खाद व उन्नत बीज डालने में
 जब फसलें लहलहाते तो हर्षित होते
  किसान ही है सबके पालन कर्ता..

हर झंझावात सहकर फसलें उगाते
फसलों की उचित कीमत मिलेगी
किसान अब यही आस में जीते
बदल जाएगी उसकी भी जिन्दगी
बच्चों को उचित शिक्षा व पक्के घर होगा
पर बिचोलिये के धोखे से वाकई टूट जाता ...












 




Friday 25 May 2018

पर्दा

कल पड़ोस में नई दुल्हन आई ।सबको प्रीती जी के घर से बहू के मुँह दिखाई के लिए बुलावा आया ।सब औरतें बन ठनके प्रीती जी के घर पहुँच गई ।
बहू हाॅल के बीच कालीन पर बैठी थी ।सबने ज्यों ही घर में प्रवेश किया," बहू के बिना घूँघट का चेहरा देख एक दूसरे का मुँह देखने लग गए ।"
आपस में काना फूसी करते देख.. "प्रीती जी ने कहा, आओ सभी आशीर्वाद दो नीता को नए जीवन की शुरुआत के लिए ! मैंने एक बेटी को घर लाया है, और अपने मायके में पर्दा  कैसा? "
" बडों का इज्जत अदब से की जाती है ! न कि, पर्दा करके "....

Thursday 24 May 2018

टूटे खिलौने

गौरी ने जाने कहाँ कहाँ से किस किस देवताओं के मन्नत से पुत्र गौरव को पाया था । उसके जन्म लेते ही उसकी दुनिया ही बदल गई थी । अपने बेटे को पालने में उसने अपनी सरकारी नौकरी से त्याग पत्र दे दिया था ।कभी भी नौकर पे छोड़ कर बेटे को कहीं नहीं जाती । हर समय अपने बेटे के फिक्र में लगी रहती ।
गौरी ने अपने बेटे के लिए खिलौने का एक कमरा बना डाला था, उसमें हर तरह के खिलौने.. कारें ,रोबोट,स्पाइडर मेन आदि सजा था...उस खिलौने के बीच बेटे को देखकर वो मुग्ध हो जाती ..
"धीरे धीरे गौरव बड़ा हो रहा था ।अपनी माँ की उचित परवरिश से वह संस्कारी व प्रतिभाशाली बच्चे के रूप में जाना जाने लगा । "
माँ पापा के आज्ञाकारी तो वो था ही, साथ साथ सभी की इज्जत करता । इस कारण सभी उससे बहुत प्यार करते थे ।
"मेधावी गौरव सफलताओं को चुमते हुए केरियर में आगे बढ़ता गया "..
और अंत में, "वो पल भी आ ही गया जब आई आई टी में अच्छे रैंक लाकर माँ पापा का सिर ऊँचा किया ।" कम्प्यूटर इन्जिनियरिंग विषय से कोर्स पूरा करते ही उसे अमेरिकन कम्पनी में अच्छी जाॅब मिल गई ।
"गौरी ने बेटे की उज्ज्वल भविष्य के वास्ते दिल पे पत्थर रखकर ,बेटे को हँसते हँसते विदा किया ।"
कहते हैं ,बच्चे जो एक बार घर से जाते तो लौट के कहाँ आते !
"अब गौरी बेटे के टूटे खिलौने को भींगी आँखों से घंटो देखती रहती, मानो उन में अपने बेटे को ढूंढ रही"...

Wednesday 23 May 2018

तनख़ा

माधव अपने सात भाई बहनों में सबसे बड़े थे । नौकरी के तुरंत बाद उसने पिता के साथ  घर की जिम्मेदारियों को संभाल लिया था । हँलाकि  पिताजी उसके शिझक थे और वो अभी अभी डाॅक्टरी की पढ़ाई समाप्त कर जाॅब ज्वाइन कर चुका था । फिर भी
परिवार बड़े होने के वजह से घर के खर्चे पुरे नहीं हो पा रहे थे।
छोटे भाई बहनों के पढ़ाई और जरूरी खर्चों में उसने कभी भी कोई कमी न आने दिया ।वो सोचता मेरे तरह छोटे भाई बहनें भी पढ़ जाए ।
इस बीच माधव के भी तीन बच्चे दो बेटी और एक बेटा हो चुका था ।घर के खर्चों में उसकी तनख़ा खत्म हो जाती, बीवी और बच्चों के जरूरी चीजें भी वो दिला न पाता !
"कभी कभी अपनी बीवी के मुख मलिन देखकर उसका मन बहुत कचोटता ..वो सोचता, हर पति अपने पत्नी के खुशियों के वास्ते , चांद तारे तोड़ कर उसके कदमों में न्योछावर कर देते हैं ..पर मैंने उस बेचारी को कुछ भी नहीं दे पाया ।"
परंतु तुरंत ही उसका ध्यान अपने परिवार के जिम्मेदारियों पे जा टिकता ।जैसे तैसे हिम्मत से वो अपने सारे फर्जो को अंजाम देने में लगा जाता ..
इधर पिताजी रिटायर्ड हो गए थे ।माधव अपने सारे फंड और
क्रेडिट कार्ड से छोटी बहन की शादी अच्छे से कराया, पिताजी  और बहन को रूपये की कमी से दिल को ठेस न पहुँचे ," "उसने शादी में कोई कमी न आने दिया ।"
बीवी ने बैंक के कर्जो के लिए आगाह किया तो उसने कहा,
क्यों चिन्ता करती हो ,"अगले महीने ही प्रभु  (छोटा भाई)
को पहली तनख़ा मिलेगी तो सीधे मेरे हाथ में रख देगा ।"
बैंक के सारे कर्जे यूँ ही चुटकी में छूमंतर हो जाएगा ।
आखिर मेरा भाई क्लास वन अफसर ह !
माधव की बीवी अपने पति के तरफ हैरत भरी नजर से देख अपने काम में लग गई ।
अगले महीने के पहले सप्ताह गुजर भी गया पर उसके हाथ में अब तक प्रभु ने एक ढेली तक न रखा ....

तनख़ा

माधव अपने सात भाई बहनों में सबसे बड़े थे । नौकरी के तुरंत बाद उसने पिता के साथ  घर की जिम्मेदारियों को संभाल लिया था । हँलाकि  पिताजी उसके शिझक थे और वो अभी अभी डाॅक्टरी की पढ़ाई समाप्त कर जाॅब ज्वाइन कर चुका था । फिर भी
परिवार बड़े होने के वजह से घर के खर्चे पुरे नहीं हो पा रहे थे।
छोटे भाई बहनों के पढ़ाई और जरूरी खर्चों में उसने कभी भी कोई कमी न आने दिया ।वो सोचता मेरे तरह छोटे भाई बहनें भी पढ़ जाए ।
इस बीच माधव के भी तीन बच्चे दो बेटी और एक बेटा हो चुका था ।घर के खर्चों में उसकी तनख़ा खत्म हो जाती, बीवी और बच्चों के जरूरी चीजें भी वो दिला न पाता !
"कभी कभी अपनी बीवी के मुख मलिन देखकर उसका मन बहुत कचोटता ..वो सोचता, हर पति अपने पत्नी के खुशियों के वास्ते , चांद तारे तोड़ कर उसके कदमों में न्योछावर कर देते हैं ..पर मैंने उस बेचारी को कुछ भी नहीं दे पाया ।"
परंतु तुरंत ही उसका ध्यान अपने परिवार के जिम्मेदारियों पे जा टिकता ।जैसे तैसे हिम्मत से वो अपने सारे फर्जो को अंजाम देने में लगा जाता ..
इधर पिताजी रिटायर्ड हो गए थे ।माधव अपने सारे फंड और
क्रेडिट कार्ड से छोटी बहन की शादी अच्छे से कराया, पिताजी  और बहन को रूपये की कमी से दिल को ठेस न पहुँचे ," "उसने शादी में कोई कमी न आने दिया ।"
बीवी ने बैंक के कर्जो के लिए आगाह किया तो उसने कहा,
क्यों चिन्ता करती हो ,"अगले महीने ही प्रभु  (छोटा भाई)
को पहली तनख़ा मिलेगी तो सीधे मेरे हाथ में रख देगा ।"
बैंक के सारे कर्जे यूँ ही चुटकी में छूमंतर हो जाएगा ।
आखिर मेरा भाई क्लास वन अफसर ह !
माधव की बीवी अपने पति के तरफ हैरत भरी नजर से देख अपने काम में लग गई ।
अगले महीने के पहले सप्ताह गुजर भी गया पर उसके हाथ में अब तक प्रभु ने एक ढेली तक न रखा ....

Sunday 20 May 2018

मन के छाले....*ग्लानि *

बहन की सुखी वैवाहिक जीवन देख राकेश के, "दृष्टिपटल पर चलचित्र के तरह वो सारी बातें दृष्टिगोचर होने लगी, कैसे उसने अपनी ही बहन के जीवन से खिलवाड़ कर बैठा था? "
  कैसे उसने , किसी के बहकावे में आकर शराब पी कर अपनी ही बहन के खिलाफ , न जाने क्या क्या कह डाला था ? "ये सोच आज भी उसका मन ग्लानि से भर उठता है  ।
"उस दिन, स्मिता की बारात दरवाजे तक आ चुकी थी , सब रिश्तेदार और मेहमान उल्लासित नजर आ रहे थे ..शादी के मधुर गाने डेक पर बज रहे थे ।"
"दुल्हा के आगमन पर स्वागत के लिए कुछ लड़के पहुँच गए ।इतने में राकेश ने सबको भेज दिया दूसरे मेहमानों के पास ..
"फिर होने वाले जीजाजी से अपनी ही दीदी के बुराई करने
लग गया ।"
कहते कहते कुछ ज्यादा ही वो बोल गया.. "दीदी को ,
कोई और लड़का पसंद था .. वो किसी की नहीं सुनती ।"
"पापा मम्मी ने ,अपने जान की कसम देके मुश्किल से मनाया विवाह के लिए "!
" कहते कहते वो लड़खड़ा के अचेत हो गया ..उसके मुँह से बू
 आ रही थी शराब की "..
 पानी के छींटे मारा गया तो उसे होश आ गया, "अचानक वो
जीजाजी के पैर पर गिर कर रोने लगा ।"
हाथ जोड़ कर वो अपनी बहन की जिन्दगी बचाने की दुहाई बार बार देने लगा ।
"फूट फूट कर रोते हुए उसने बताया की किसी अपने ने दुश्मनी
 साधने के लिए ,मुझे पिलाकर उल्टे सीधे कान में भर दिया ।
 मुझे माफ कर दीजिए !
दुल्हा बहुत समझदार निकला,उसने उसे गले से लगाते हुए कहा , "ऐसा कुछ नहीं करूँगा ..तुम बेफिक्र रहो।"
मैंने कुछ भी नहीं सुना !
"सचमुच  स्मिता  से उन्होंने कभी भी इस बात का जिक्र तक नहीं किया "...
 इतना प्यार दिया कि, वो ससुराल और पति के प्यार में लीन हो गई ...
बहन के सुखी वैवाहिक जीवन देख राकेश का जी खुशी से बाग बाग हो जाता ।

Friday 18 May 2018

अमूल्य निशानी माँ की

👵👵👵👵👵👵👵👵👵👵👵
प्रिया अपने ज्वेलरी के डिब्बे में पड़ी एक पुराने से कंगन को हाथों में लेकर खो सी गई ..दिल में दर्द का गुबार उठने लगा !
"अपनी माँ की की प्यार भरी बातें और दुलार को याद कर,पलकें उसकी नम होने लगी "..

बचपन में माँ बाल बनाते हुए कहती ,"मैं अपने गुड़िया के लिए लाखों में एक राजकुमार चुनके लाउँगी।" 
वो हमेशा कहती ! "अपनी लाड़ो को अपने हाथों से ऐसे सजाऊँगी लोग देखते रह जाएँगें "....
मगर निर्दय वक्त ने, उन्हें मौका ही नहीं दिया, "असमय ही वो सबको छोड़कर चल बसी ।"

कई बार बड़ी ननद ने समझाया .."जब वो कंगन तुझे छोटी पड़ रही है और डिजाइन भी पुराना सा है , तो तू उसे सुनार से तुड़वाकर नई कंगन बनवा लो " ..बेकार में पड़ी है ।  पर वो सुनके भी अनसुनी कर देती ..

प्रिया आठ साल की थी जब उसकी माँ चल बसी थी ।उसके पापा ने.. विदाई से पहले अलग कमरे में बुलाकर उसे ये कहते हुए दिया था कि .."बेटा ये कंगन माँ ने तेरे वास्ते रखा था "...

तब से उसने कंगन को, "मखमल के मुलायम कपड़े में लपेट कर रख रखा था ।" जब भी उसे माँ की याद आती आलमीरा से..." कंगन निकाल कर भींगी पलकों से घंटो निहारा करती "...

अक्सर प्रिया जब भी अकेली होती, कंगन को धीरे धीरे कोमल हथेली से ऐसे सहलाती जैसे.."उसकी माँ  साक्षात उसके सामने हो " ...
उसने मन ही मन सोच लिया था, चाहे कुछ भी हो माँ की अमूल्य निशानी को.." आजीवन संभाल कर रखुँगी ..

Wednesday 16 May 2018

प्रीत की छाँव

हम तो वो बेल हैं जो अपने बरगद
पिया से जीवन भर ऐसे जुड़ गई
खुद का अस्तित्व ही नहीं रहा..
अपनी हर सासें उनपे ही वार दिया  ..

बिन कहे ही हर बात समझते हैं
एक दूजे के दिल में धड़कते हैं हम ..
एक दूजे के बिन अधूरे हैं
एक दूजे के पूरक हैं हम ..
एक दूजे में ही घुल गए ऐसे
मिश्री पानी के जैसे हैं हम

सदियों तक हमारी मिलन गाथा
सब यूँ ही गुनगुनाते रहे ..
प्रियतम के स्नेह के छाँव में
हमारी जिन्दगी गुजरते रहे ..

हर जन्म के वास्ते मैंने तुम्हें
मांगा है रब से ..
कोई आँधी या तुफान हमें
कभी कर न सके जुदा ..

वट सावित्री व्रत की बहुत शुभकामनाएँ सभी को 🌷🌷

Monday 14 May 2018

हर साँसें उधार माँ की

माँ के आँचल का
साया रहे हमेशा तो
खुशियाँ ही खुशियाँ
छायी रहती सबके
जीवन में ...
पीड़ा और परेशानी
हर लेती वो बच्चों के..
पनाहों में छुपाके माँ
महफूज रखती हमें
जमाने की बुरी बलाओं से..
खुद की तकलीफ को
छुपाके हँसती रहती
कभी एहसास होने
न देती किसी को..
कितने ही मुफलिसी
से चाहे हो सामना..
खुद रूखा खाकर ,
कटौती न करती माँ
बच्चों के परवरिश में ..
खुद के अस्तित्व
मिटाकर बच्चों को
शिखर पे पहुँचाने की
हसरत में ही जीती ..
माँ की ममता तो
दुनिया के हर खजाने
में सबसे अनमोल है
जो बिकती न बाजार में ..
जमाने की दुश्वारियां
से वो कभी न डरती ..
हमेशा ठाल बनके
खड़ी रहती मुश्किलों
के सामने ..
माँ बिन जीवन
कल्पना से बाहर
माँ से ही हिम्मत
और ताकत है ....
हमारी हर साँसें
उधार है माँ की
है असंभव माँ के
कर्ज को चुकाना..
माँ की जान तो
बच्चों में ही निहित ,
मत अलग करें उन्हें
अपने संसार से..
स्वार्थ में इतने
बच्चे अंधे न बनें...
प्राण होते हुए भी वो
मर जाएगी घुट घुट के ...

🌷Happy Mothers day 🌷

Wednesday 9 May 2018

दर्द के बिच्छू

यादों की आँधी जब चलती
जाने कहाँ पल में ले जाती 
धीरे धीरे एक एक परत
उन लम्हों के सजीव हो जाता ..

सीने में एक हूक सी उठती
मीठी कसक दिला जाती
यादों के अनमोल अनगिनत
मधुर क्षण हो जाता जीवंत ..

सबको बार बार, हर वक्त
अपने बीते लम्हें याद आता
और दर्द के अनेकों ही बिच्छु
तन मन में रेंगने लग जाता ...

समय के बढ़ते हुए रफ्तार को
कोई रोक भी तो नहीं सकता
जिन्दगी के जीये अनमोल पल
मन के कोने को भिंगो ही जाता ...

जिन्दगी जब कई मौके देती तो
हम उन रिश्तों के कदर न करते
वक्त जब हाथ छोड़ कर चल देता
तो मूड़ मूड़ कर उनके राह तकते ..

Tuesday 8 May 2018

यकीन

आँखों के सारे अश्रु
को बह जाने दो
दर्द सारे बहके
मन निर्मल बन
लफ्जों के सुन्दर
ताने बाने से रूबरू
सबको करती रहे  ..
एहसास खुशियों के साज
जीवन में हर दिन
यूँ ही बजती रहे..

 मुश्किलों भरे दिन
सबके जीवन में
आते हैं यकीनन
खुद से भी यकीन
डगमगा ही जाते हैं ..
उम्मीद के दिए जिसने
थाम लिया हाथों में
रास्ते के अंधेरें
दूर हो ही जाते हैं ..

शब्दों के बाण
छलनी कर देते मन
घायल दामन
कटे वृक्ष समान
पी लिया जिसने
 पीर को अपने
उसके जीवन में
पतझड़ के बाद
बसंत आते जरूर
 काँटो भरे दामन में 
 फूल खिलते जरूर हैं ..

छलावा अपनों के
करते व्यथित मन को
मुश्किल है पहचान
साँप आस्तीन के
भूलावा रिश्ते के
दो राहे से निकल आए
विवेक से खुद को संभाल ले
सतरंगी सपने लिए
 जिन्दगी दस्तक 
उसी को ही देती है ...

 
 

Saturday 5 May 2018

पावस

ग्रीष्म के तपन से आक्रांत धरा
जीव जंतु से लेकर पेड़ पौधे
हो गए बेहाल लू के थपेड़ों से
कराह रहे सब रवि के प्रहार से
कातर नैनों से मेघ को निहार रहे ..

हिय को शांत करे बहे शीतल बयार
सब कोई पवन से मनुहार कर रहे
चिलचिलाती धूप में सब  जल रहे
सूरज जैसे आग के गोले बरसा रहे ..

खेत खलिहान बिन पानी तरस रहे
नदी नाले व गुल, तालाब सूख गए
देख किसान सिर हाथ धर रो रहे
देव इन्द्र से बारिश की विनती कर रहे ..

पावस ऋतु ने ज्यों ही बूँदे बर्षाया
बैचेन जीव को चैन मिल गया
खिल उठी धरा खेत लहलहाया
झरने ने गीत गाया पंछी चहचहा रहे ...

विरहणी गाने लगी है राग मल्हार
पावस की बूँदे प्रेम अगन बढाने लगी
पिया से मिलन को मन मचल रहे
झींगूर ;दादुर व पपीहे की धुन गूँज रहे ..
 
तरूणी कर श्रृंगार जिया है बेकरार
मेघा दे दे संदेश परदेशी सजन को
जी उठा चातक स्वाती के बूँद से
देख घटा घनघोर मोर वन में नाच रहे ..

बिजली चमक रही मेघ गरज रहे
प्रियतम को जैसे वो आमंत्रण दे रहे
पावस ऋतु में जड़ से चैतन तक
प्रेम के बाहुपास में सब जकड़ रहे ..