Sunday 27 May 2018

किसान

धन्य वो धरती पुत्र किसान
दिन रात मेहनत करते
अपने खून पसीने बहाते
बंजर में भी हरियाली लाते
हम सबके वो अन्नदाता महान..

रोज सवेरे उठकर चल देते
खेतों व बागों को सींचने
कंधे पे हल साथ बैल व कुदाल
भूखे रह कर भी वो मुसकुराते
कर्मनिष्ट किसान हिम्मत से जीते ..

सच्चे कर्मठ यकिन कर्मों पे करते
ऊपर वाले की रहमत न भी हो
पहाड़ों को खोद नीर ले आते
घबराते नहीं वो विपत्तियों से
किसान हाथों पे ही भरोसा करते ..

प्रकृति के बेरूखी से नहीं हारते
सुविधा व साधनविहिन होके भी
विचलित कभी न वो होते हैं
खुद ही किस्मत की रेखा बनाते
सच्चे किसान उम्मीद में ही जीते..

 बच्चों के भाँति खेतों की रक्षा करते
 कर्जों में डूबकर भी कमी न करते
 उर्वरक खाद व उन्नत बीज डालने में
 जब फसलें लहलहाते तो हर्षित होते
  किसान ही है सबके पालन कर्ता..

हर झंझावात सहकर फसलें उगाते
फसलों की उचित कीमत मिलेगी
किसान अब यही आस में जीते
बदल जाएगी उसकी भी जिन्दगी
बच्चों को उचित शिक्षा व पक्के घर होगा
पर बिचोलिये के धोखे से वाकई टूट जाता ...












 




No comments:

Post a Comment