Sunday 20 May 2018

मन के छाले....*ग्लानि *

बहन की सुखी वैवाहिक जीवन देख राकेश के, "दृष्टिपटल पर चलचित्र के तरह वो सारी बातें दृष्टिगोचर होने लगी, कैसे उसने अपनी ही बहन के जीवन से खिलवाड़ कर बैठा था? "
  कैसे उसने , किसी के बहकावे में आकर शराब पी कर अपनी ही बहन के खिलाफ , न जाने क्या क्या कह डाला था ? "ये सोच आज भी उसका मन ग्लानि से भर उठता है  ।
"उस दिन, स्मिता की बारात दरवाजे तक आ चुकी थी , सब रिश्तेदार और मेहमान उल्लासित नजर आ रहे थे ..शादी के मधुर गाने डेक पर बज रहे थे ।"
"दुल्हा के आगमन पर स्वागत के लिए कुछ लड़के पहुँच गए ।इतने में राकेश ने सबको भेज दिया दूसरे मेहमानों के पास ..
"फिर होने वाले जीजाजी से अपनी ही दीदी के बुराई करने
लग गया ।"
कहते कहते कुछ ज्यादा ही वो बोल गया.. "दीदी को ,
कोई और लड़का पसंद था .. वो किसी की नहीं सुनती ।"
"पापा मम्मी ने ,अपने जान की कसम देके मुश्किल से मनाया विवाह के लिए "!
" कहते कहते वो लड़खड़ा के अचेत हो गया ..उसके मुँह से बू
 आ रही थी शराब की "..
 पानी के छींटे मारा गया तो उसे होश आ गया, "अचानक वो
जीजाजी के पैर पर गिर कर रोने लगा ।"
हाथ जोड़ कर वो अपनी बहन की जिन्दगी बचाने की दुहाई बार बार देने लगा ।
"फूट फूट कर रोते हुए उसने बताया की किसी अपने ने दुश्मनी
 साधने के लिए ,मुझे पिलाकर उल्टे सीधे कान में भर दिया ।
 मुझे माफ कर दीजिए !
दुल्हा बहुत समझदार निकला,उसने उसे गले से लगाते हुए कहा , "ऐसा कुछ नहीं करूँगा ..तुम बेफिक्र रहो।"
मैंने कुछ भी नहीं सुना !
"सचमुच  स्मिता  से उन्होंने कभी भी इस बात का जिक्र तक नहीं किया "...
 इतना प्यार दिया कि, वो ससुराल और पति के प्यार में लीन हो गई ...
बहन के सुखी वैवाहिक जीवन देख राकेश का जी खुशी से बाग बाग हो जाता ।

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