Wednesday 9 May 2018

दर्द के बिच्छू

यादों की आँधी जब चलती
जाने कहाँ पल में ले जाती 
धीरे धीरे एक एक परत
उन लम्हों के सजीव हो जाता ..

सीने में एक हूक सी उठती
मीठी कसक दिला जाती
यादों के अनमोल अनगिनत
मधुर क्षण हो जाता जीवंत ..

सबको बार बार, हर वक्त
अपने बीते लम्हें याद आता
और दर्द के अनेकों ही बिच्छु
तन मन में रेंगने लग जाता ...

समय के बढ़ते हुए रफ्तार को
कोई रोक भी तो नहीं सकता
जिन्दगी के जीये अनमोल पल
मन के कोने को भिंगो ही जाता ...

जिन्दगी जब कई मौके देती तो
हम उन रिश्तों के कदर न करते
वक्त जब हाथ छोड़ कर चल देता
तो मूड़ मूड़ कर उनके राह तकते ..

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