Saturday 30 June 2018

धैर्य

गाँव में जहाँ देखो यही चर्चा हो रही थी ....मासुम रंजु की
 शादी, दुगुनी उम्र के बुजुर्ग से हो रही ...जाने कैसे कसाई
 मामा है ...?
किसी ने कहा ,बिन माँ की बेटी का कौन सुधि लेता...!
कहीं से उड़ती खबर बगल वाले शहर के काॅलेज तक पहुंचा..
बहुत से छात्र ये सुनके आक्रोशित हुए ..शादी को रोकने का उन लोगों ने विचार किया... । अगले ही दिन सारे छात्र पहुँच गए गाँव.. फिर रंजु के मामा को लगे समझाने ...।

"वे कहने लगे आपको कोई हक नहीं है ..एक मासूम की जिन्दगी से खिलवाड़ करने का ...!

'हमलोग ऐसा नहीं होने देंगे ....   ये शादी आप रोक दो ...!"

मामा कहने लगे ..."मैं क्या करूँ तुम्ही लोग बताओ ..!
जहाँ भी जाता लड़का देखने सब मेरी हैसियत से अधिक दहेज मांगते ...इतने रूपये मैं कहाँ से लाऊँगा ...?
गर  जमीन बेच भी दूँ ...तो परिवार को कैसे पालूँगा ...?

"फिर छात्रों के ओर मुखातिब होके वो बोले ...समाज सुधार करने का इतना ही बीड़ा उठाए हो तो ..! "
"है हिम्मत तुम में से किसी को...शादी करने की ... !
कहना बड़ा ही आसान होता  ..थोती आदर्शवादिता शोभा नहीं देती" ...
" गर हिम्मत है तो आगे बढ़कर रंजु का हाथ थाम कर        दिखाओ .."
"शादी का नाम सुनते ही एक एक कर सभी छात्र खिसकने
  लगे ...अंत में दीपक बच गया ..".उसने बोला मैं करूँगा ...
  इससे से शादी ...."
"सचमुच वो उसी समय साधारण रीति रिवाज से ब्याह रचाकर ले आया दुल्हन को अपने घर ...!"
घर पहुँचते ही दरवाजे के पास बीबी को रोक के माँ को  पुकारने लगा ....माँ ..! माँ ...!... देखो किसी लाया हूँ ...!
 माँ दुल्हन बनी र॔जु को देख अचरज में पड़ गई ...हैरत भरी नजरों से बेटे और दुल्हन दोनों को देखे जा रही थी ...!"
दीपक ने सिर झुका के कहा  ...!  "माँ ये आपकी बहू है ..."
इतना सुनते ही वो गुस्से के मारे उबल पड़ी ...पैर पटकते हुए अंदर चली गई ..."ये देख रंजु सकपका गई ..."
फिर दीपक ने उससे कहा ,  देखो ! त्याग  धैर्य व स्नेह से पाषाण से पाषाण हृदय भी पिघल जाते हैं ..."
"फिर वो तो माँ है...!   जल्दी ही वो तुम्हें अपनी  स्नेह का  भागीदार बनाएंगी ....!"






 

Saturday 23 June 2018

विश्वकर्मा पुत्र

समुद्र के किनारे बसे महानगर में  सुनामी के आते ही शहर के सारी सड़कें, पुलें व गगन चुम्बी इमारतें चरमरा गई । हर ओर तबाही मची हुई थी..."

"लोगों को सुरक्षित निकालना अत्यंत मुश्किल हो रहा था ..सभी बड़े अधिकारी अपने से छोटे अधिकारियों को जल्दी से व्यवस्थाओं को सुचारु करने के लिए फोन से हिदायतें दे रहे थे ...."

"मंत्री हवाई सर्वेक्षण के द्वारा मौके का मुआयना कर रहे थे....।"
"एक निश्चित तारीख तक उनका आदेश था पुलों को दुरूस्त करने का..."

"मातहत अधिकारी ने जल्दी जल्दी ठेकेदार को काम सौंपा .."

"ऐसी विकट स्थिति में जाबांज विश्व कर्मा पुत्र(कारीगर) सरीखे नौजवान ने बिड़ा उठाया  ... बिखरे.. टूटे पुलों को नए सिरे से मरम्मत करने का ।"
"सचमुच उसके वजह से फिर से दुरूस्त हो गया इलाका .."

"ऐसे कर्मनिष्ट के बल पे खिल उठा चमन, मुस्कुराने लगी जिन्दगी फिर से .."

और ," वो वहीं का वहीं है ... लगता है सदा के लिए    अभिशप्त है ...."
"जरा सा भी परिवर्तन न आया  उसके जीवन में ..।"

Sunday 17 June 2018

टोपाॅग्रफ़ी

राहूल का लटका मुँह देखके, माँ समझ गई जरूर एस एस टी का पेपर अच्छा नहीं गया ।  क्योंकि दूसरे विषयों के पेपर में तो हँसते हुए घर आता और खुशी खुशी फुल मार्क्स लाने की बात कहता । इधर से सारे टेस्ट में यही हो रहा था..

 राहुल  पढ़ने में बहुत मेधावी था, उसे किसी भी विषय में कम अंक लाना कतई मंजुर नहीं था, इसलिए दुखी रहता । चूँकि राहुल बहुत  ही सिनसियर स्टूडेन्ट था इसलिए माँ पापा को भी
 समझ में नहीं आता, आखिर अन्य विषयों से कम अंक क्यूँ आ रहा.. !

 माँ ने प्यार से कहा , ..."बेटा ! बच्चों को  माँ पापा से  हमेशा अपनी समस्याएँ बाँटनी चाहिए !  बताओगे तो ही हम  उसका हल कर पाएँगे...! "

राहुल ने झिझकते हुए कहा .. "मम्मा ! मैम 'टोपाॅग्रफ़ी पढाई नहीं हमें ,.. कहती है खुद से पढके आओ ! जो बीस नम्बर का होता है । "

नेट से भी इसे समझने की कोशिश करता हूँ,.. "फिर भी समझ   
में नहीं आता ....
"इसी कारण नम्बर कम आ रहा है ..।"

 पैरेन्टस टीचर मिटिंग के दिन ,.."राहुल के साथ मम्मी पापा दोनों गए ...."
"हर एक टीचर से मिले वे लोग , सभी राहुल के प्रदर्शन से  काफी खुश लगे...।"
 एस एस टी की टीचर से मिलने पर राहुल की माँ ने नाखुश हो कर कम अंक के बारे में कहा .."तो टीचर कहने लगी जितना लिखेगा उतना ही अंक आएगा.. ।"
 राहुल की माँ ने तपाक से कहा.." मैम जब बच्चे को सारे चाप्टर पढ़ाया जाएगा तभी तो नम्बर आएगा ..!"

"ये सुनके वो गुस्से से राहुल को देखने लगी ! "

"फिर बोली , कौन से चाप्टर नहीं पढ़ाया गया ..तभी राहुल के सभी दसवीं क्लास के सहपाठी बच्चे कहने लगे... मैम ... टोपाॅग्रफ़ी  ..."
मैम तिरछी नजरों से अगल बगल झाकने..... लगी ...।"

"हवा का रूख बदलते देख, उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई ..!"

अगले पल बेशर्म होके वो बोली .. "राहुल को मेरे घर एक सप्ताह ट्यूशन के लिए भेज दीजिए ...! "
"साढ़े चार हजार फीस के साथ ....!"


 

Friday 15 June 2018

विश्वास

विकास की बीबी ने आत्महत्या कर लिया..सुनके सभी लोग हैरत में रह गए .."सब आपस में कह रहे थे, न जाने क्यों ! नेहा ने इतना बड़ा कदम उठाया ,अपने नन्हें बेटे की ममता भी उसे नहीं घेरा...!"
"जितनी मुँह उतनी ही बातें .. ! "  

"विकास तो बेसुध पड़ा था, किसी को कौन जवाब देता ...?"

किसी ने नेहा के मायके में भी इस बारे  में इतल्ला दे दिया ....
उसके माँ पापा के आते ही भीड़ ने घेर लिया ..."सब कोई पुलिस में खबर देने के लिए उन्हें उकसाने लगे..."
" वे  लोग कहने लगे, आपकी बेटी थी वो ! आपको हक है दोषी को सजा दिलाने का..हम सभी आपके साथ है ...।"

परंतु सबकी बातों को अनसुना करते हुए ,लोगों की भीड़ को चीरते हुए उन्होंने घर के अंदर प्रवेश किया  ....।
दामाद को गले से लगाते हुए आँसू पोछते हुए बोले ...." बेटा तुम डरो नहीं , मैं जानता हूँ तुम कितने अच्छे हो ..मुझे तुम पर पूरा विश्वास है ....।"

"ये नेहा के तेवर का परिणाम है , गुस्सा में वो बेकाबू हो जाती थी । हमने सोचा जिम्मेदारी पड़ने पर ठीक हो जाएँगी ...पर अफसोस खुद को उसने वक्त ही नहीं दिया ....।"

फिर भीड़ की ओर मुखातिब होके वो बोले , "पुलिस क्या मेरी बेटी को जिन्दा कर देगी ..?"
"इस नन्हें का क्या कसूर...? "
"माँ तो चली गई बाप भी जेल चला जाएगा तो इसका भविष्य कैसे संवरेगा ...?"
बुजुर्ग दादा दादी या हम बूढ़े नाना नानी के जीवन का क्या भरोसा  ..? "मुझे तो इसके जिन्दगी के बारे में सोचना है ....।"

"नेहा की छोटी बहन नीता अकसर सपने में नन्हें को रोते देखती तो रोने लग जाती ..।" हरदम उसी पे मन लगा रहता ।
 कुछ महीने बाद उसके मम्मी पापा ने विकास और 
नीता की शादी के लिए सबको राजी कर लिया ....
आज "सादगी से शादी संपन्न कर विकास दुल्हन लेके
आ गया ...."।
"नीता शादी की पहली रात से ही नन्हें की यशोदा माँ बन गई....."

Thursday 14 June 2018

नासमझ

शादी से पहले पायल बहुत स्वस्थ और हंसमुख थी । खूबसूरत पायल को जो देखते ,देखते ही रह जाते! सुन्दर घर वर पाकर उसके माँ पापा भी खुश थे ।
 परंतु ,शादी के पहली रात से ही न जाने कौन रोग उसके अंदर प्रवेश कर लिया...? उसकी धड़कनें इतनी बढ़ गई जो दुल्हा बेचारा डर के मारे उसे छू भी न पाया...!
सुबह उसके उतरे चेहरे देख, पायल को ही सब कुरेद कुरेद कर पूछने लगे । पायल ने किसी को कुछ नहीं कहा..बल्कि अंजाने  भय से उदास जरूर हो गई ...।
 मेहमान सबके जाने के बाद पति पायल को फीजिशियन से दिखाने ले गया ।
डॉ ने, जाँच करने के बाद कुछ  टेस्ट लिखा । फिर शाम को
रिपोर्ट लेके मिलने को कहा ... ।
 डॉ साहब रिपोर्ट देखकर बताया पायल को हार्ट प्रोब्लेम है..  दवाइयों के साथ ढ़ेर सारी हिदायतें दी उन्होंने ।  पति से कहा ,  "वो अभी माँ न बने  ..इस बात का खास ख्याल रखना, क्योंकि जान पर खतरा है ।"
खैर परहेज और दवाई से धीरे धीरे पायल ठीक हो रही थी ।
पर," इतनी हिदायतों के बाद भी पारिवारिक दबाव से पायल माँ बन गई ..।"
 उसकी जिन्दगी तो खतरे में पड़ ही चुकी थी ..."अब  कुदरत के करिश्मा का ही आस रह गया था ..।"
"पायल के मम्मी पापा का रो रो के बुरा हाल था । सभी सगे संबंधी धड़कते दिल से दिन गिन रहे थे ..."
आखिर वो दिन आज ही आ गया .. "पायल को लेबर पेन आने शुरू हो गए, जल्दी जल्दी बड़े नर्सिंगहोम में ले जाया गया ।"
उसकी पालपिटेशन काफी बढ़ चुका था, बी पी भी  रिकार्ड नही हो पा रहा था.. । "डाक्टर ने अनकनटरोल्ड साइनस टेकिकार्डिया बताया ।"
 केस में कई सारी उलझने आ चुकी थी ... । डॉ के "लाख प्रयास के बाद भी पायल को नहीं बचाया जा सका ... ।"
पायल के पति पर सभी फब्तियाँ कस रहे थे ....
"लोग कह रहे थे, ऐसे पढ़े लिखे नासमझ से तो अनपढ़ सही...कम से कम अपनी बीबी के जानपे तो नहीं खेलता ..."
"एक खूबसूरत फूल की बिखरी पंखुड़ियाँ देख ... दर्द में डूब गए सभी नातेदार..।"




 

Wednesday 13 June 2018

मुहब्बत

मुहब्बत में नाकामी दिल जला बना दिया         
 मिलन की आरजू ने मजनूं बना दिया

उल्फत में उनके रात दिन यूँ बैचेन रहते हैं
इक दीदार के वास्ते खुद को पागल बना दिया

जुदाई का गम सहना बहुत ही मुश्किल
खाक में मुहब्बत कलेजे चीर के रख दिया

अधूरी हसरतों की जैसे धज्जियाँ उड़ गई
अब परछाइयाँ ने भी उनका साथ छोड़ दिया

किसी से मिलना बिछुड़ना अपने बस में कहां
 रब के इशारा ने जैसे दो प्रेमी को मिला दिया




Tuesday 12 June 2018

फैसला

शालू को सासु माँ और ताई जी हमेशा टोकती गुड़िया अब आठ साल की हो गई , अकेली बच्ची है उसके साथ खेलने के लिए कोई तो चाहिए.. "न जाने क्यों दूसरे बच्चे के बारे में नहीं  सोचते तुम लोग..! एकाकीपन का शिकार हो जाती,  ठीक से विकास भी नहीं हो पाता अकेली बच्ची का...!"

शालू ये सब सुन सुन के पक गई .."ये सब कहने की बात है !
आखिर सासु माँ को साफ साफ सुना ही डाली वो ...।"

"शालू सोचती, इस मंहगाई के दौर में  एक ही बच्चे का परवरिश अच्छे से हो जाएँ वो ही बहुत है ...। आजकल स्कूल की फीस , ट्यूशन व कोचिंग के खर्चे इतनी अधिक है कि, दो
तीन बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाना मुमकिन नहीं....।"

मन ही मन वो उधेड़बुन में रहती, सोचती मुझे इस बारे में पति से विचार विमर्श करना चाहिए या नहीं, कहीं वो भड़क न उठे!
हिम्मत करके एक दिन अपने मन की बात उसने पति से कहा,

"ऐ जी  क्यों न हम फैमिली प्लानिंग करवा ले?...एक ही बच्ची रहेगी तो, उसको बेहेतर शिक्षा, साधन व सुविधा मुहैया करा सकते हैं ...हमारा सारा ध्यान भी उसी पे केंद्रित रहेगा ..!"

 पति हैरत से उसकी तरफ देखने लगा ..फिर बोला माँ को क्या कहेंगे? कहीं वो नाराज न हो जाए..!
शालू ने पति से कहा.. माँ धीरे धीरे समझ जाएगी ।
"एक ही बच्चा चाँद के समान हो तो हजारों तारे की क्या आवश्यकता ..?"

Monday 11 June 2018

इरादा

निधि के पति असमय अपने पीछे दो छोटी बच्चियों को छोड़ प्रस्थान कर गए इस जहां से । अचानक आई  दुखों के पहाड़ से टूट गई वो । अपने भाग्य को कोसती .. "सोचती कैसे जीवन बिताऊँगी पति के बिना, बिन पिता के बच्चों का भविष्य कैसे संवारूँगी ! "

कई महीनों तक वो शोक से खुद को उबार न पाई ।  इस बीच लोग आते , अपनी अपनी राय देके चले जाते .. "कहते इतनी  अल्प आयु में अकेली जीवन काटना कठिन है, तुम्हें दुसरी शादी कर लेनी चाहिए...।"

"बुजुर्ग सास-ससुर को बेसहारा छोड़ना, और आए दिन बेटियों के साथ अनैतिक व्यवहार के खबरों ने.. खुद के स्वार्थ के लिए सोचना मन गवाह नहीं लिया उसका...।"

 निधि  ने बुजुर्ग सास - ससुर और बच्चियों के वास्ते खुद को मजबूत किया और अपने जीवन के एकांत नहीं अकेलापन को दिल से बाहर का रास्ता दिखाते हुए , मन ही मन कुछ फैसला लिया ...।"
 
आज वो घरेलू कुटीर उद्दोग शिविर में ट्रेनिंग के लिए सधे कदमों  से जा रही है .."अपने परिवार और बच्चियों के बेहतर भविष्य  के लिए ।" सास - ससुर को निधि  के बुलंद इरादे देख मन में  अजीब संतोष मिला...!

Saturday 9 June 2018

बंदिशें

रोक न पाया जमाने की बंदिशें हमें
हम दीवाने पे लाख पहरे बिठाया

तकदीर में तुम मेरे ही थे तो मैंने       
 तुझे इसी जन्म में पा ही लिया

उम्मीद न थी कभी होगी मिलन
किस्मत ने हमें मिला ही दिया

प्रियतम से नजरें इनायते तो
हाथों के लकीरों में लिखी हुई

तुम न भी मिलते करती इन्तजार
सह लेती पल पल गमे जुदाई

सच्चे प्रीत गर हो प्रियतम से
सारी कायनाते मिलाते इक दूजे से...

Thursday 7 June 2018

नशा

पार्टी अपने उफान पे था ।सब कोई मस्ती में डूबे हुए थे।
मधुर संगीत के धुन पर कई जोड़े थिरक रहे थे ।पीने वाले धीरे धीरे बार के ओर जाने लगे .."पर इन सबके बीच एक जोड़े ऐसे भी थे जो अपने में ही खोये थे...दोनों आॅरेंज जूस सीप करते हुए,एक दूजे के आँखों में गोते लगा रहे थे । एक अजीब खुमारी में दोनों डुबे थे ।"

इतने में राहुल - राहुल कहते हुए, कुछ लड़के आ गए उसके पास और उस लड़के को खींच के ले जाने लगा, ये कहते हुए की.. यार !"तुमको कितने देर से खोज रहे हैं ! तुम हो कि  भाभी के प्यार में डूबे हो ...चलो , मस्ती करते हैं !"बार में सब         इन्तजार कर रहे तुम्हारा !
 
राहुल ने अपने आपको छुड़ाते हुए कहा, "देखो ! यार मैं अब वैसा नहीं हूँ । मैंने पीना छोड़ दिया ..मुझे तो अब केवल तुम्हारे भाभी के प्यार का ही नशा है "....

Tuesday 5 June 2018

गहरे रंग

पापा के निधन के बाद सबने कहा,तेरहवीं तक चटकीले रंगों के कपड़े कोई भी न पहने इसका ख्याल रखना, खासकर माँ के कपड़े हल्के रंग के होने चाहिए । माँ की अलमीरा में ढूंढने से भी हल्के रंगों की कोई साड़ी नहीं मिली। अंत में मेंहदी, फिरोजी ग्रीन कलर की साड़ियों के जोड़े उनके पहनने के लिए निकाल लिये गये ।

माँ मेरी बहुत गोरी है तो पापा हमेशा गहरे रंग की साड़ियाँ ही उन्हें लाके देते थे । मायके से भी उनकी भाभी लोग भी
चटक रंगों की साड़ियाँ ही दिया करती थी । माँ कभी भूले से हल्के रंग पहन भी लेती, तो हम सब उन्हें टोक ही दिया करते थे । हम कहते , "माँ आप पर ये रंग नहीं फबता है ।"

उनके बाल जब पकने लगे तो पापा उन्हें तरह तरह के डाय लाकर देते थे पर बाल में लगाने पर उनको एलर्जी हो जाती थी। बाद में डॉ ने डाय लगाने से सख्त मना कर दिया था।
फिर भी मैंने मेंहदी और काॅफी चायपत्ती को पानी में घोल 
कर माँ के बालों में लगा दिया ।माँ के उपर सुनहले बाल बहुत फब रहे  थे ..यह देख कर पापा बहुत खुश हुए । उनकी भाभी ( मेरी मामी ) माँ को देखकर जोर - जोर से हँसने लगी ।  माँ से बोली ," दीदी ये घोड़े जैसे बाल क्यों रंगवा लिए ?" पापा यह  सुनकर  बहुत नाराज हो गए ।उन्होंने मामी से कहा ,"गोल्डन कलर की खूबसूरती का वर्णन सभी पोयट अपनी कविताओं में करते आ रहे हैं । अंग्रेजी विषय के विद्वान होने के नाते विलियम शेक्सपियर को पढने के बाद पता चला है कि सुनहरे बाल कवियों को कितने लुभाते हैं.... ।"

आज पापा माँ के ऐसे रूप देख कितने दुखी हो रहें होंगे ये सोच के मेरे नेत्रों से अश्रुधारा बहने लगी ....।

तेरहवीं की लिस्ट बनाई जा रही थी फिर पंडित ने कहा,  "एक जोड़े सफेद साड़ी भी ले लेना माता जी के लिए ।"

मैं  वहीं सब सुन रही थी  तुरंत ही मैंने टोका , "ये दकियानुसी बातें हैं मेरी माँ सफेद साड़ी नहीं पहनेगी .... !"

प्रो उषा झा रेणु 

Friday 1 June 2018

इन्सान के चेहरे ......*संजोग*

नैना दीदी नहीं रही अब इस दुनिया में ! ये खबर सुनके सहसा धक्का सा लगा , एक आह सी निकल गई ....
आँखों से अश्रुधारा बहने लगी । छोटे छोटे दोनों बच्चे बिन
माँ के कैसे पलेगा ," जीजाजी तो पहले से ही विक्षिप्त से हैं!! सोच के कराह सी निकल गई "..
बारंबार दीदी का चेहरा आखों के सामने नाचने लगा ...कितनी प्यारी और खुशमिजाज थी वो, सबसे गुणी भी।परिवार में सबसे कितना स्नेह करती ,बदले में हम सभी भी उनसे इतना ही प्यार करते । माँ -पापा की तो सबसे आज्ञाकारी संतान थी । परंतु चाचाजी ने न जाने क्यों.. इतनी हड़बड़ाहट में उनकी शादी कर दी, परिवार के किसी सदस्यों से राय भी नहीं ली
कहते हैं जोड़ियाँ उपर से बनके आती है , शायद दीदी के संजोग में यही लिखा था...पर हमसब तो चाचाजी के जिगरी दोस्त को ही दोषी मानते थे, जिसने चाशनी में लपेटकर झूठ को सच बनाकर पेश किया..उनके विश्वास में अंधे होकर उन्होंने अपनी तरफ से तहकीकात ही नहीं किया ।
खैर दीदी ने इसे अपनी नियति मान लिया । जीजाजी मंदबुद्धि थे और ससुर , खड़ूस बड़े बेटे को परिवार चलाने की जिम्मेदारी सौंप खुद जमिन्दारी को बढ़ाने में खोया रहता ..किससे वो क्या कहती !
ससुराल में छोटे भाई ने आँखों से जब उनकी स्थिति देखा ,दीदी को जरूरत के एक एक चीजों के लिए दूसरे के मुँह ताकते हुए, तो वो किसी की परवाह किए बगैर ले आया दीदी को ।
दीदी, अपने दोनों छोटे बच्चों को ले कर मायके में खुश हो के  रहने लगी ।
थोड़े ही दिनों में वो अपने गमों को भूलाकर बच्चों की पढ़ाई के साथ साथ, भाई और अपने पापा के हर कामों में हाथ भी बँटाने लगी ।
लेकिन लोग चैन से किसी को जीने नहीं देते हैं, जल्दी ही वो सबके एक ही सवाल, कितने दिन रहोगी ! कब जाओगी ससुराल? .. सुन सुनके पकने लगी ।
अपने पराये सबके एक ही सवाल से उकताकर, वो ससुराल चली गई । बच्चों को मायके में छोड़ दिया, क्योंकि वहां स्कूल दूर था ।
फिर दीदी कई सालों तक मायके आई ही नहीं,न ही किसी को अपनी समस्याओं के बारे मे कभी कुछ बताया । जाने कब वो गंभीर बीमारी के जकड़ में आ गई ,किसी को पता ही नहीं चल पाया ।
मायके में किसीने खबर दिया उनकी हालत बहुत सीरियस है,
चाचाजी नैना दीदी को ले आए, पर तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था ..एक दो दिनों में ही जिन्दगी ने उनका  साथ छोड़ दिया...
अब, जो लोग उनकी खिल्ली उड़ा रहा था, ...
अपने पति को छोड़ के मायके बैठी है !  "वही लोग कह रहे थे, हाय हाय मायके में दो रोटी ही तो खा रही थी ! यहाँ रहती तो क्या बिगड़ जाता ?"
"सचमुच हर एक इंसान में कई चेहरे छिपे होते हैं !!"