Sunday 2 September 2018

कर्म का फल

विधा- कविता

जब कोई न सुने दर्द की चित्कार
बेसहारा के हो न कोई मददगार
अपनों से भरे जहाँ में मिले न पनाह
आगे न आए कोई देने को सलाह
तो सुन के करुण पुकार आते जरूर
रक्षा करने दुष्टों से चक्रधारी कृष्ण मुरारी ..

अबला नारी की इज्जत जब होती तार तार
करें दुराचारियों सब मिलकर अत्याचार
बनाकर रख दे जिन्दगी को नर्क समान
जीवन जब बन जाए कठिन लाचार
मन से सुमिरन करने पे आते हैं जरूर
करने को उद्धार चक्रधारी कृष्ण मुरारी ..

जीवन में हो जब दुखों का सागर
समझ में न आए कैसे करें पार
संकटों का पहाड़ चहूँ ओर हो घिरे
सूझे न कोई रास्ता दिखे न मंजिल
सुनकर फरियाद आते हैं जरूर
देने को सहारा चक्रधारी कृष्ण मुरारी

अदृश्य रहकर भी वो रखते हैं सब पर नजर
सारी गलतियों का रखते वो हिसाब किताब
फिर भी लोग बाज नहीं आते बुरे कर्मों से
कर्मों के अनुरूप ही मिलता है दंड अवश्य
जैसी जिसकी करनी है फल देते हैं जरूर  
मुरलीवाले चक्रधारी कृष्ण मुरारी ..

No comments:

Post a Comment