Sunday 30 September 2018

अनुनय भाई का

विधा-गीत

बस इतनी सी बात तू मान लेना ओ मेरी बहना
जमाना बहुत खराब है घर शाम होते ही आना

घूमा करते बहरूपिये भेष बदल बदलके
कैसे पहचानोगी तुम नियत में खोट कितने
फैलाते हैं जाल मीठी बातों के डालके दाना
जमाना बहुत खराब ....

पढ़ लिखकर अपने कुल का मान बढाना
बचपन में दी संस्कार को याद हमेशा रखना
तुम किसी घर की आबरू हो बेटी ही गहना
जमाना बहुत खराब ...

राह में मिले कितने ही कांटे, कदम तुम बढाना
दुष्ट नोचने को बैठा गली गली उनसे न घबराना
करना मुकाबला इनसे हिम्मत कभी न हारना
जमाना बहुत खराब ...

काम काज फूर्ती से निबटाके मुस्कान ले आना
आँखें बिछाये माँ पापा कब आओगी ऐ बहना
खुशियाँ  मिले भरपूर तुम्हें उनका यही है सपना
जमाना बहुत खराब ....

जमाने के कदम से कदम मिलाती तुम चलना
आधुनिकता में बहके अपनी संस्कृति न भूलाना
मर्यादा सीमा का उल्लंघन तू कभी भी न करना

बस इतनी सी बात तू मान लेना ओ मेरी बहना
जमाना बहुत खराब है घर शाम होते ही आना

उषा झा (स्वरचित )
उत्तराखंड(देहरादून

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