सबों को छोड़ गए ,,,पितु जाने किस देश
तीन वर्ष से नीर,,,, दृग में बचे न शेष
उनके बिन अधूरा,,,लगे हमें परिवार
वंद पलक करूँ प्रकट ,,,होती छवि हर बार
रोबदार व्यक्तित्व,, उनका अप्रतिम शान
दयालू इतने कि,,,,छिड़के सब पर जान
निश्छल हँसी की, अब,,,तलक सुने दिल गूँज
बिन पिता हूँ अनाथ,,हुए खत्म नेह पूँज
पुण्य तिथि पर पितु को, करे दिल बहुत याद
धी मैं उस विभुति की ,,,,दूँ नसीब को दाद
लूँ जब भी जनम वो, बने पिता हर बार
विनती तुमसे प्रभु ,, नैन बहे अश्रु धार
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