Saturday 9 March 2019

सिक्को पे न डोल कलम

कमतर न कलम को आंक
तलवार से पैनी इसकी धार

कलम या तलवार कौन बड़ा है
प्रश्न बार बार मन में उठता है
एक दुश्मनों के शीश काटता
दूजा शब्दों से ही करता वार
तलवार से पैनी इसकी धार

कलम में ताकत है बेशुमार
निष्पक्ष लेखन से रख सरोकार
देर न लगता तख्ता पलटने में
मदांध शासक करे अत्याचार
तलवार से पैनी इसकी

जब निरंकुशता हद से बढता
झूठ जब सत्य पर भारी पड़ता
कलम लगाता अंकुश उन पर
कमाल किया कलम ने हर बार
तलवार से पैनी इसकी धार ...

कलम ओज भरती है वीरों में
इन्सां के संग निभाती अन्याय में
अश्रु पोछे कलम अबलाओं के
कलम ने काम किया है हजार
तलवार से पैनी इसकी ...

कलम में ताकत है अनगिनत
अरी को ललकार लहू बहाती
कभी लिखे शांति प्रेम संगीत
प्रेम पाती से पत्थर दिल जाए हार
तलवार से पैनी इसकी  ..

जब कभी कलम बिक जाता
समाज तब टुकड़ो में बँट जाता
दीन दुखियों पे ही गाज गिरता
कुत्सित मनोवृत्ति बहुत बेकार
तलवार से पैनी इसकी ...

कलम तुम अद्भुत अनमोल
सिक्को के खनक पे न डोल
आईना समाज को दिखा तुम
करना है बस इतना उपकार
तलवार से पैनी इसकी ...

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