Thursday 27 May 2021

रोम।रोम में राम विद्यमान हो

विथा - गीत

🌷रोम रोम में राम बस विद्यमान हो🌷

राम राज्य की कल्पना साकार हो,इस जगत में राम नाम का गुण गान हो ।
रोम रोम में राम बस विद्यमान हो, मेरे संग हर घडी कृपा निधान हो।।

राम सार्वभौम सृष्टि के वरदान है ।
राम अभिमान है महि के सम्मान है ।।
राम पुनीत प्रीति के बस आधार है ।
हर युग रघुकुल दिप्ति दीप दिनमान है ।
भक्ति निस्काम करूँ कर्म अपना करूँ ।
राम विनती सुनो उर शुचि भावना हो ।

रोम रोम में राम बस विद्यमान हो , मेरे संग हर घडी कृपा
निधान हो ....।

राम से सिर्फ आस और विश्वास है ।
दुखियों के भक्त वत्सल सदा दास है ।
राम नाम की महिमा अपरम्पार है ।
भक्तों पर नेह राम का कुछ खास है ।।
राम संस्कार में आचार अरु विचार में ।
हृदय में है आस्था पूर्ण साधना हो ।।

रोम रोम में राम बस विद्यमान हो , मेरे संग हर घड़ी कृपा निधान हो ।

राम सुर संगीत है मन के राग है ।
सबके उर में बसे प्रेम अनुराग है ।
राम नाम से ही पावन संसार है ।
राम जग बाग के मृदु पुष्प पराग है ।
उर उमंग उल्लास अरु अमृत धार है ।
नाम रटते रहो अधर पर मुस्कान हो ।

रोम रोम में राम बस विद्यमान हो , मेरे संग हर घडी कृपा
निधान हो ।

जग ज्योतिर्गमय राम दिव्य प्रकाश है ।
राम से समग्र वसुधा पर विलाश है।
विरक्त मोह से वह वैराग व त्याग है ।
पतझड जीवन में खिले गुल पलाश है ।।
राम कण कण में क्षण क्षण में व्याप्त दिखे ।
अधर पर सदैव राम शुभकामना हो

रोम रोम में राम बस विद्वमान हो , मेरे संग हर घडी कृपा
निधान हो ।

सत्य निष्ठा मर्यादा के प्रतिमान हैं ।
राम सद्भाव है सिर्फ क्षमादान है ।
जग जानते राम ईश के अवतार हैं ।।
सदियों से उर की बस यही याचना है।
राम राज्य की कल्पना साकार हो , राम का नित्य ही गुण गान हो ।

प्रो उषा झा रेणु
देहरादून 

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