Monday 24 May 2021

बिन पिय विरही मन

गीत

स्मृति पट पर है याद घनेरी
बीत गए वो वक्त सुनहरी ।।

श्वासों के सरगम महकाते ।।
ओ पलछीन कौन भुला पाते ।
क्षण में मुस्कान सजा जाते ।
सपनों में उर सहला जाते ।।
डर डर जीती निशा अँधेरी ।
स्मृति पट पर है याद घनेरी ।।

विरहा के दिन गिन गिन कटते ।
तुम बिन प्रियवर रैन न सजते ।।
भूल बता दो तुम हरजाई ।।
मेरे हिस्से क्यों तन्हाई ।।
धड़कन की बजती रण भेरी ।

देख रही हूँ राह तुम्हारी ।
देखो आकर दशा हमारी ।।
छुपकर बैठे कहाँ बिहारी ।
नैन बहे हैं नित गिरिधारी ।
विरह वेदना क्षण क्षण घेरी।

ख्वाबों सा वो दिन था अपना।
जीवन लगता हर पल सपना ।।
मनुहार बिना उदास रैना ।
भूल गए हो क्यों कर मैना ।।
विकल जिन्दगी तुम बिन मेरी

स्मृति पटल पर है याद घनेरी
बीत गए वो वक्त सुनहरी ।।


*उषा की कलम से*
देहरादून

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