जीवन पथ पर बढता चला नन्हा
कोरा कागज सा है उसका जीवन ।।
गुरु कुम्हार बन सार्थक रूप गढ़ते
भविष्य निर्माण में दिन रैन लगाते ।।
कमजोरियों को दूर भागकर मजबूत बना
जीवन को शिखर तक पहुँचाते ।।
दीपक बन ज्ञान का ज्योत जगाने वाले गुरु
जीवन को विद्या से प्रकाशित करते ।।
सबमें अपरिमित ज्ञान की उचाइयाँ बख्सकर
गगन में उड़ने के लिए गुरु परवाज बनते ।।
बिन गुरु वैसे ही जैसे जीवन नैया बिन पतवार
गुरु ही जीवन के सफलता का आधार ।।
No comments:
Post a Comment