Thursday 7 September 2017

तर्पण

बिछुड के चले गए जो दिवंगत
 सजल नयनों से याद करती हूँ ..
पितृपक्ष में उनको देकर श्रद्धांजलि
अपने अश्रु से ही तर्पण करती हूँ ..
खोया हुआ उनका वो स्थान
कभी कोई भर नहीं सकता है ..
स्मृति पटल पर उनकी यादें मधुर
 अपने मन मंदिर में रख ली हूँ संजोकर..  
सच से कितना ही भागों
 पर सबकी यही गति  ..
एक दिन सबको जाना ही है 
जीवन की यही नियति ..  
वो वापस आ नहीं आ सकते
चाहे कितना ही रो लो ..
पर मन को समझाना है
 बड़ा ही मुश्किल..
उनके दिखाए मार्गदर्शन
पर चलना ही है सच्ची तर्पण ..

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