फरेब करना भी
एक कलाकारी
है जनाब ..
बड़े ही शातिराना
चाल ये चलते ..
पहले धीरे धीरे
पास पहुँच कर
दिल में उतरते ..
फिर धीरे धीरे
मीठे जहर के
के तरह असर
करने लगता
दिलों दिमाग पर
और रिश्तों के जड़ो
को ही काटना
शुरू कर देता
मीठी अपनी
चालाकियों से ..
डंके के चोट पर
की गई दुश्मनीं
से कोई आहत
न होता पर अपनों
की फरेबी से
टूट ही जाता ..
सतयुग से कलयुग तक
सभी बड़ी लड़ाईयाँ
अपने के ही वार से हुई ..
सीता माँ भी धोखा खा गई
फरेबी रावण के माया जाल से ...
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