Sunday 1 October 2017

रफ्तार

अजब तेज रफ्तार है जिंदगी का
आगे बढ़ने के ललक में सब पीछे
छूट जाता..

 कुछ पाने की उम्मीद में बहुत कुछ
हाथों से फिसलता चला जाता ..

वक्त बचपन में ही बड़ा बना देता जब
गरीबी की मार जिन्दगी में पडती ..
 
 जरूरतें किसी से पड़ती तो औकात
अपना भिखारी जैसा लगने लगता ..

ना उम्मीदी जिन्दगी की हार का सबब
न बन जाए,इसलिए खुद पे एतवार से
कर दोस्ती..

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