Thursday 19 October 2017

मन का मैल मिटा लें दिवाली में

मन से मन का दीप जला लें
 प्यार  मुहब्बत का गीत गा लें
दीपक बन ज्ञान का ज्योत जगा लें
दिल के अंधेरों को दूर भगा लें
दीपावली में रब दे सबको खुशियाली ..

रहे न किसी के घर अंधियारा
दिवाली की रौशनी में नहाए सारे
मिटा कर मन के तिमिर को
नव प्रकाश से भरे जीवन को
दीपावली में दे रब सबको खुशियाली..

दिलों से दिलों की दूरी न हो
स्नेह के डोर में सब बंधे रहे
दुश्मनों के गले भी मिले प्यार से
भाईचारे के बंधन में सब बंधे रहे
दीपावली में दे रब सबको खुशियाली ..

सफाई घर आंगन के जैसा ही
दिलों में भरे के मैलों की भी हो
शिकायतों की पोटली को बेच दें
रिश्तों के बीच प्रेम कभी कम न हो
दीपावली में दे रब सबको खुशियाली ..

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