Sunday 15 October 2017

उम्मीदों की उड़ान

उम्मीद की लालसा ही
जीने की ललक बढाती ..
गर न हो उम्मीद तो
जीवन की कर्मठता
खत्म ही हो जाता ..
जीवन निष्क्रिय बन
 शिथिलता के पंगुपन
से ग्रसित होने की ओर ,
 अग्रसर होने में क्षणिक
 भी न लगता देर ..
सकारात्मक सोच से ही
नभ को छूने की तमन्ना ,
उम्मीद की उड़ान को
नए पंख से नवाजता..
गर हो जज्बे दिल में
चाँद को छूने का तो
 उड़ानों से कैसा ड़र?
 उम्मीद के दामन को
हम कस के थाम लें तो
साजिश न होगी आँधियों की
 जमीं पर गिराने की ..
जीत से मन को
खुशियाँ मिलती है ..
हार से जीवन में
सीख मिलती है ..
और एक नई जीत की
उम्मीद भी मिलती है ..

No comments:

Post a Comment