Monday 23 October 2017

छटपटाहट

मन के भीतर
टटोलती
यादों की
सुगबुगाहट ..
कुरेदती
सूखे पत्ते सी
सरसराट ..
परत दर परत
पलटते हुए
यादों के पन्नों को
खुद में समेटे ..
  कई खट्टे
 मीठे सवाल
करवटें बदलती
न जाने कितने
अनछुए जज्बात ..
बैचेन निगाहों में
तैरने लगता  ..
कई सारे ख्वाब
टूटने के भय
सर्द रातों में भी
पेशानी पे पसीने
की बूँदें
झिलझिलाने लगता  ..
संघर्ष के भँवर
से निकलने की
छटपटाहट ..
याद कर वो मंजर
सिहर सी जाती ..

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