Thursday 12 October 2017

अनोखा बंधन

देखा है मैंने कई ऐसे
मिंया बीबी, हर हमेशा
लड़ते झगड़ते आपस में ..
बिन बात के ही उलझते
पर गुस्सा खत्म हो जाता
 कुछ ही देर में ..
कितने ही रूठने मनाने का
चलता है सिलसिला ..
पर दोनों को ये पता इस जग में सिर्फ
वही है अपना कहलाने वाला..
मिंया बीबी एक दूजे पर आश्रित होते
खुश रहते एक दूसरे के बंधन में ..
अनोखा बंधन सा होता उनके बीच में ..
वो जो अकेले रह गए अब !
तड़पते रहते दिन रात 
एक दूसरे के याद में ..
 घर में भरा पूरा परिवार है
सब कुछ तो छोड़ गए
एक तिनका भी नहीं ले गए ..
फिर क्यों कर वो तड़प रहे ..
जिस बच्चों को पालने में
दुनियाँ जहान को बिसरा कर
अपने को अलग थलग करा
आज वही बच्चे क्यों न
मन के खालिपन भरता ..
क्यों आँखें तलाश रही उनकी निंशानियां
हर वक्त राहों में भरने वाले रोशनी
की कमी महसूस होता उनके दिल में ..
ठोकरों से बचाने वाला और
 संभालने वाले हथेलियों को
क्यों याद करते वो हरदम ..
शायद मन को कोई न टटोलता !!
बिना कुछ कहे ही एक दूजे के
मन के हर भाव समझ जाते
एक दूसरे का हर दर्द जान लेते ..
अनकही पैगाम भी पहँचता उन तक 
यही है रिश्ता मियाँ बीबी का

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