Friday 20 October 2017

गोवर्धन पूजन

कान्हा गोकुल को
इन्द्र के कोप से
बचाकर तूने दी
अभय वरदान ..

लौटाई मुस्कान नंद नगरी की
मुसलाधार बारिश में
एक उंगली पर
 गोवर्धन पर्वत उठाके ..

गोवर्धन पूजन की
परंमपरा तभी से है बनी
जब से तूने बचायी थी
नगर वासियों की प्राण

प्रेम के वसीभूत तुम
ले लो कुछ सुधी हमारी
हम हैं बड़े अज्ञानी
राग द्वेष से हैं भरे ..

मोह माया की बंधन
छुट रहा न तनिक
 लिप्त है माया से तनमन
उबार लो मुझे हूँ तेरे शरण   ...      

   

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