मनुज बेसक अपनी जिन्दगी
तुम चाँद सितारों से भर लो
पर किसी के जिन्दगी में कभी
भूल से भी नअंधियारा फैलाओ
पथ में न ही उनके शूल बिछाओ
जाने क्यों जल्दी जल्दी में है सब
बिन परिश्रम उपलब्धियाँ चाहता
मेहनत किये बिन सफलता कहाँ
अधिक समय तक टिकाऊँ होता
ततबीर से खुद मंजिल कर हासिल
बना न जीवन में किसी को सीढ़ी
स्वार्थ में किसी का न कर इस्तेमाल
दूसरे के राहों में कभी न बाधा डाल
अपनी विजय खुद कर सुनिश्चित
बेकार है किसी को हराने की चाहत
अपनी काबिलियत से कर ले उन्नति ..
धूप व बारिश में भी तुम रूक मत
हो सके तो हम दूसरे के बने सहारा
थोड़ी ही सही दें खुशियाँ और प्यार
किसी की आहें कर देती है बैचेन
रूलाकर किसी को मिलता न चैन
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