मेरे माथे पे सिंदुर
ललाट पे बिंदियाँ की
चमक रहे बरकरार
सलामत रहे सजना
तेरी जिन्दगानी ..
चाहे रूठने मनाने का
सजना से कितना ही
चले सिलसिला ..
पर कहाँ रूकता
दिल में आवेग !
एक दूजे से रहता
न कोई मलाल ...
मुश्किलों से भरा
जीवन सफर भी
एक दूजे से आसां
बन जाता ..
दिल का ये रिश्ता
सात जन्मों तक
साथ बना रहे ..
करवाँ चौथ में यही
वर मैं मांगती ..
चाँद!तू मेरे प्रीत की
गवाही बने हरदम
तुझे साक्षी मान
खुद को अर्पण
किया है अपने
प्रीतम को ...
अखंड सुहाग की
तुझसे आशीष मांगती..
मैं अपने पिया को
हर जन्म के वास्ते
ऐ चाँद !!
तुझसे हूँ मांगती ..
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