जब कोई न सुने दर्द की चित्कार
बेसहारा के हो न कोई मददगार
अपनों से भरे जहाँ में मिले न पनाह
आगे न आए कोई देने को सलाह
तो सुन के करूण पुकार आते जरूर
रक्षा करने चक्रधारी कृष्ण मुरारी ..
अबला नारी की इज्जत जब हो तार तार
करें पापियों सब मिलकर अत्याचार
बनाकर रख दे जिन्दगी कोई नर्क समान
बन जाए जीवन जब कठिन लाचार
मन से सुमिरन करने पे आते हैं जरूर
उद्धार करने को चक्रधारी कृष्ण मुरारी ..
जीवन में हो जब दुखों का सागर
समझ में न आए कैसे करें पार
संकटों का पहाड़ चहूँ ओर हो घिरे
सूझे न कोई रास्ता दिखे न मंजिल
सुनकर फरियाद आते हैं जरूर
देने को सहारा चक्रधारी कृष्ण मुरारी
अदृश्य रहकर भी वो रखते हैं सब पर नजर
हिसाब किताब सब गलतियों की करते सारे
फिर भी लोग बुरे कर्मों से बाज नहीं आते
जिसकी जैसी करनी फल मिलता जरूर
कर्मों के अनुरूप ही देते हैं सबको दंड
मुरलीवाले चक्रधारी कृष्ण मुरारी ..
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