आज महिला दिवस पर सबको मेरी ओर से बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।
महिला दिवस सेलिब्रेट(समारोह, उत्सव )करने या खुशियाँ मनाने का दिन भले ही एक हो पर प्यार और सम्मान उसे हरदिन मिले तभी महिला दिवस मनाने का औचित्य है । परिवार की नींव होती हर औरत, जिस घर में न हो नारी तो कहते हैं भूतों का घर है ..
जहाँ औरतें खुश रहती वो घर खुशहाल रहता ,शान्ति और स्नेह की वर्षा होती ..
प्राचीन युग में औरतों की शिक्षा पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया ..
सामाजिक कुरीतियों ..बाल विवाह, पर्दा प्रथा, सती प्रथा आदि की शिकार रही महिलाएं,जिस कारण उसका व्यक्तित्व उभर नहीं पाया ।
परंतु ईश्वर प्रदत्त गुण बेसुमार है हर नारी में ।प्यार ममता व त्याग जैसे अमुल्य गुण की धनी होती हैं महिलाएँ जो अन्य प्राणियों से उसे अलग करता ।सृष्टि की निर्मात्री स्त्री को देव भी पूजते ।
परंतु कुत्सित मानसिकता के दंभी पुरूष महिलाओं पर अत्याचार करते और अपने क्षुधा पूर्ति का सामान भर समझते ।आज भी दहेज के लालची बेटियों को जला रहे ।
कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य पाप पे रोकथाम नहीं हो पा रहा ।
आज भी बेटियों की पढ़ाई खानापूर्ति के लिए करते हैं ।जबकि बेटियों को ढ़ंग से जहाँ पढाया जाता वो बेटे से अच्छा प्रदर्शन करती ।
जबतक निर्भया जैसी घटनाओं पर अंकुश न लगे, दहेज प्रथा का अंत न हो तबतक महिला दिवस मनाने का औचित्य नहीं...
समाज की उन्नति तभी जब महिलाएँ भी कदम से कदम मिला कर चले ।सरकार को भी बेटियों की पढ़ाई सुनिश्चित करने के लिए विशेष कदम उठाना चाहिए ।बहुत से लोग आर्थिक अभाव के कारण भी उच्च शिक्षा बेटियों को दिलाने से मजबूर होते हैं ।बैंक से कर्ज लेन की हिम्मत नहीं होता है क्योंकि सरकार ने एजुकेशन लोन का ब्याज सबसे अधिक कर रखा है ..जबकि कार, टीवी कुछ भी ले सकते हैं सब ।उसका ब्याज बहुत ही कम है, लगभग एजुकेशन लोन का आधा ।
सरकार का ध्यान मैं इस ओर आकृष्ट कराना चाहती हूँ ।
आज विश्व महिला दिवस पर सभी प्रण ले नारी को भी मिले समाज में बराबरी का दर्जा । हर महिला को अभिव्यक्ती की स्वतंत्रता के साथ साथ मनपसंद केरियर चुनने का अधिकार होना चाहिए ।उसके साथ अपने ही घर में विभेद होता है। कई बार माता- पिता ही बेटे- बेटियों में फर्क करते हैं ।ऐसा नहीं होना चाहिए ।दोनों की शिक्षा समान रूप से होना चाहिए ।आज युग परिवर्तन हो चुका है महिला ने हर क्षेत्र में अपने को सफल साबित किया है।जरा सा सहयोग से वो आसमान छू सकती है ..
वहीं मैं सभी बिटिया को भी ये संदेश देना चाहती हूँ ..वो पंख तो जरूर फैलाए लेकिन पैर जमीन पर रखें ।अपने पारिवारिक संस्कार को न भूलें ..अपने लक्ष्य से न भटके ।अगर नारी आत्म निर्भर हो तो बहुत सी बाधाओं से मुक्ति पा सकती है ,साथ ही मन पसंद जिन्दगी भी जी सकती है ।और अंत में सभी महिलाओं से भी ये गुजारिश करना चाहती हूँ ..वो हर रिश्ते का सम्मान करे ।किसी भी माता- पिता से उनके बेटे को दूर न करे और न बहनों का मायका छिने तभी महिला दिवस की सार्थकता होगी..##
Friday 9 March 2018
नारी समाज की नींव
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