आलोकित अभ्र दमके , पूनम की है रात ।
चाँद निशा से मिल रहे , करते मीठी बात ।।
देखो आए गगन में, तारों की बारात ।
हीरे मोती चमकते , नभ दे प्रेमाघात ।।
दुल्हन लगती है निशा,बढा हृदय अनुराग ।
चाँद मिलन को उतरे, पीर गए सब भाग ।।
खिली खिली सी चाँदनी, हर्षित हरसिंगार ।
आई बेला मिलन की , बिछने को तैयार ।।
कितनी इतराई उषा,नैन भरे हैं प्यार ।
बासंती चोला पहन , अरुण करे मनुहार ।।
स्वर्ण किरण के संग रवि ,लेते जब अवतार ।
मोहित हो सूरजमुखी , गई हृदय वो हार ।।
सूरजमुखी युगों खड़ी, रवि से बहु लगाव ।
पी दरश से झूम रही , तृप्त दृग अहो भाग ।।
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