Thursday 26 September 2019

गुरु नीम समान

विधा- दुमदार दोहे

करें,प्रकाशित गुरु जहाँ, सब मिटे अंधकार ।
गुरु प्रकाश के पुंज हैं,करते वो उद्धार ।।
पथ दिखाएँ जब भटके  ।
गलत रास्ते जब अटके।

गुरु, जीवन पतवार है,उन बिन डूबे नाव ।
सच्चे दर्शक राह के , उनका सहो दबाव ।।
सेवा कर ,लो लाभ सब  ।
दर्शन पालो आप सब  ।

गुरु बिना भेदभाव के  , शिक्षा देत समान  ।
भविष्य उनके चरण में , गुरु का कर सम्मान ।।
दिखलाओ अवगुण उन्हें  ।
कभी न तुम टालो उन्हे।

गुरु समाज को सीचते , करके विद्या दान
छलके गंगा ज्ञान की , सबका हो उत्थान ।
मिटाते तमस जगत में ।
जगाते अलख हृदय में   ।।

गुरु बोल लगते कड़ुवे , वो हैं नीम समान ।
अंकुश गुरु मन पर रखे, लेलो विद्या दान ।।
विकार हटाते सबके।
पवित आचरण मन के  ।।

जीवन भटकता बिन गुरु , ज्यों पतंग बिन डोर ।
जीवन गढ़ते कुंभ सा , दक्ष अंगुली पोर ।।
शीश झुका लो चरण में  ।
आओ गुरु की शरण मे।

गुरु से विद्या सीख लो , करो ज्ञान भंडार ।
सिर उनका ऊँचा करो ,बिखरे रंग हजार ।।
जीवन में लाये खुशी  ।
मिटे विषाद, मिले  हँसी ।।

रिश्ता पावन शिष्य गुरु,  हैं सदा बरकरार
आदर जब उनको मिले ,परंपरा साकार ।।
कर्म केपरचम  लहरे ।
रंग जिन्दगी में  भरे  ।।
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