प्रहरी हो तुम देश के, हमको है ये भान ।
करे न परवाह खुद की , हो सबके अभिमान ।।
शीश चढ़ा ते माँ के चरण, अद्भुत तुम हो वीर ।
प्रेम हृदय जब उमड़ता , नहीं छोड़ते धीर ।।
सैनिक महान पुत्र है, करते रौशन नाम ।
सेवा करते देश का, करे न वो आराम ।।
गर्व करते मात पिता , जब दे सुत बलिदान ।।
कतरा कतरा बहते रक्त,बढ़ जाता सम्मान ।।
छक्के छुड़ाते अरि के , करे फक्र हैं देश ।
घर में घुस कर चीर दे , बदले अपने भेष ।।
सपना सैनिक नैन में, तोड़ू दुश्मन दाँत ।
डाले भारत पर नजर, फाड़ू उसकी आँत ।।
दुष्ट देश को घात दे, कभी नहीं मंजूर ।
तिलक करूँ अरि रक्त से, उर में भरे गरूर ।।
कुर्बानी राष्ट्र पर क्यों, होती है व्यर्थ ।
साँप घरों में पालते , होता बहुत अनर्थ ।।
खट्टे हो दाँत अरि के ,,करना ऐसा काम ।
हिम्मत अरि की नष्ट हो,कर दूँ मैं नाकाम ।।
माँ की सेवा फर्ज है, सबसे पावन धर्म ।
देते उनको कष्ट जो , सबसे बड़ा धर्म ।।
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