विधा- प्रदोष छंद
यौवन के दहलीज पर,,, बच्चों होश न गवाँना
मशाल शिक्षा का लेकर ,,,जगत में अलख जगाना ।।
रास्ते कितने कठिन हो,,,विश्वास न खुद पे खोना
कदम ड़गमगा गया तो ,,,जान ! जीवन भर रोना ।।
आलस्य का करो त्याग ,,सामने भविष्य तेरे
मेहनत करने से बने,, सुनहरे जीवन तेरे ।।
पढ़ने लिखने पर मिले,, जीवन में सुख सम्पत्ति
भविष्य होगा उज्ज्वल,, फैलेगा यश और कृति ।।
बुरे संगति में पड़ोगे,, जीवन बेकार होगा
बिगड़े सुधर जाते, मित्र, संस्कार वाले होगा ।।
पत्थर पर लकीर पड़े, रस्सी घिसा जाएगा ।
आँखें लक्ष्य पे साधना,,मंजिल अवश्य मिलेगा ।।
माँ पिता करेंगे नाज ,,, तुम उनका सम्मान हो
बच्चों में पले सपने ,,,,इतना तुमको ज्ञान हो ।।
लिखो देश की तकदीर ,,,सब तारीख है तेरा
कर्म से इतिहास बदल,, हथेली में कल तेरा ।।
दुश्मनों के चाल तुझे,,नाकाम करने होंगे
देश के तकदीर लिखो,,गौरवान्वित सब होंगे ।।
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