Sunday 10 December 2017

सेतु

.समन्दर दरिया दिली दिखा
छोटी छोटी नदियों को खुद
में समाती ..
गर इंसा भी बन जाए सहारा 
किसी निर्बल का,करें दुख का
 आत्मसात  ..
तो जग में न होगा कोई अकेला ..
उँचे उँचे इमारतों में रहनेवाले 
 छोटे से छोटे को भी अपने
 बडप्पन से नवाजें ..
तो अमीरों गरीबों के बीच खाई
पे सेतु भी बन जाएगा ..
निरीह इंसा होते बिन सहारा
औकात उसका दो कौड़ी का
इज्जत न किसी के नजर में
गर दे दे उसे जरा प्रेम अमीर
तो उसके पाँव पड़ता न
जमीन पर ..

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