Saturday 2 December 2017

शब्दों की लड़ियाँ

ढूंढ रही कुछ ऐसे शब्द
लिखूँ ऐसे जो दिल छू ले
जो हो कल्पनाओं से परे ..

 यथार्थ के स्याही में डूबोकर
भावों के कलम से नेह स्नेह
 का कोई गीत रचूँ हृदय के
कोरे कागज पर ..

बनाऊँ शब्दों की ऐसी लड़ियाँ
जो मिटाएँ दिलों की दूरियाँ
रहे न कोई एक दूजे से रूठकर ..

गढ़ लूँ मैं कोई ऐसे विचार
जो दिलों में अलख जगाकर
करे नए युग का संचार ..

 शब्दों की माला पिरोकर
जोड़ लूँ मन से मन को
नफरतों को मिटाकर
बहा दूँ सबमें प्रीत की धार ..




 








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