Tuesday 5 December 2017

सुहानी यादें

बचपन का कोई मित्र
जब कभी मिल जाता
दुनिया के सारे तनाव भूल,
मन खुशियों से झूम उठता ।

जिस जगह पर हमने
ली पहली किलकारी,
पहली बार जिस धरती
पर लड़खड़ा कर चले
वो यादें ताउम्र भूल न पाते ।

उस घर को देख मन भी
कितना पुलकित हो जाता
जहाँ दादा दादी के गोद में
खेला करते हैं बचपन में ..

उस गलियों को कभी
कहाँ भूला पाते जहाँ ,
दोस्तों के संग खेले हम
जेहन में उसकी यादें 
हमेशा जिन्दा रहती ..

वो स्कूल जहाँ नन्हें नन्हें
कदमों से चलकर गए थे,
वो तोतली जब़ान की गिनती
याद आता प्यार भरी झिड़की
बचपन के शिक्षक शिक्षिका की

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