विधा - इन्द्रवज्रा वर्णिक छंद
221 221 121 22
थोड़े गमों में घबरा न जाओ
थोड़ी खुशी मेंं इतरा न जाओ
आए न कोई फिर भी बुलाओ
रिश्ते पराये सब से निभाओ ।।
दोनों हथेली पर हो भरोसा
तो जीत आसान बने हमेशा
दे भाग्य को तू कबहूँ न दोषा
कर्तव्य हीना न मिटे कुदोषा ।।
टूटे दिलों को तुम जोड़ देना
रूठे न कोई यह सोच लेना
रास्ते सभी जीवन में खुलेंगे
मुस्कान तेरे लव पे सजेंगें ।।
काँटे कभी मंजिल क्यों न रोके
ओ वीर खाना अब तो न धोखे
हारो न यूँ हिम्मत बुद्धि मानों
ओ सैनिकों धीरज अस्त्र जानो ।।
हो राह में संकट घोर यारो
काँटे बिछे हों फिर भी न हारो
शूलों भरे दामन पीर पाता
आशा न हो जी कब कौन पाता ।।
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