Tuesday 12 November 2019

राधा हुई दिवानी

कुन्डलियां

कृष्ण संग राधा मगन , मनवा है बैचेन  ।
रिश्ता अद्भुत प्रीत का,नैन बाँचते बैन ।।
नैन बाँचते बैन,प्रिये बिन मुश्किल  जीना ।
 पिय बिन तरसे नैन,सुहाता मधु रस पीना।।
डूब रही आकंठ, जले विरह में तन बदन  ।
मुरली दई छुपाय, राधा के केवल कृष्ण ।।

पिया छुपे किस देश में , खोया मन का चैन ।
बस में अपना दिल नहीं , निशदिन बरसों नैन ।।
निशदिन बरसों नैन ,  ढूंढते हैं प्रियतम को ।
धड़कन करता शोर,सँभालो आकर हमको ।।
मन में तेरा आस,प्यास अबूूझ बुझे जिया ।
 बसे तुम्हीं में  प्राण, राधा विह्वल बिन पिया ।

बहका रहा मलय हिया ,लिए जाय किस देश ।
बस में अपना दिल नहीं ,मुग्ध दृग प्रेम भेष ।।
मुग्ध दृग प्रेम भेष ,   नैन ढूँढे है साजन ।
कहाँ सजन बिन चैन,प्रीत है अपना पावन ।।
राधा के मन कृष्ण   ,पुष्प हो जैसे महका ।
दिल कान्हा को वार,नयन है बहका बहका ।

मोहित करती कामिनी  मटकी फोड़े कृष्ण ।
नीर घट से छलक रहा, लगते अद्भुत दृश्य।
लगते अद्भुत दृश्य , भींग गए सब वस्त्र है  ।
झांक रहे सब गात, नैन लाज से त्रस्त  है ।
विह्वल करता प्रेम, मानिनी हृद में शोभित ।
जादू करता रूप ,  कामिनी हुई है मोहित ।।


No comments:

Post a Comment