प्रश्नोत्तरी दोहे
तबियत, प्रिय को देख क्यों , मचल रही है आज।
खुद पर रख विश्वास लो, तभी सफल सब काज ।।
मम हृदय घनश्याम बसो,नेह तुम से अपार ।
मुझे दुखों से तार दो, लो अपने पर भार ।
खुद पर रख विश्वास लो, तभी सफल सब काज ।।
मम हृदय घनश्याम बसो,नेह तुम से अपार ।
मुझे दुखों से तार दो, लो अपने पर भार ।
करे नित्य अन्याय मनु , मनुजता शर्मसार ।
हार गया विश्वास भी,लहू के बहे धार ।।
संतान भी छल करते,भरे माँ बाप आह ।
एकाकी बुजुर्ग हुए, जिन्दगी बीच राह ।।
कैसा आया दौर है, सभी जड़ काट गए ।
दूरियाँ दिलों में बढ़ी ,मनु हृद गड्ढे पाट ।।
दुख में जो होते खड़े,वह असली इंसान ।
रब देते साथ उसका ,जग करते सम्मान ।।
त्याग दया दिल में नहीं, कोई करे न प्यार ।
नेकी जो मनुज करते, हर दिल जाते हार ।।
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