विधा- रोला
बसे पिया परदेश, याद हर क्षण आता है ।
मिले न कोई संदेश, चैन न हृदय पाता है ।।
मीरा के उर कृष्ण , ढूंढती वन सांवरिया ।
दर्शन की है प्यास,बन गई वो सांवरिया।।
भर कर मन विश्वास,हेरती राह पिया की।
आयेंगे पिय पास, बुझायें अगन, जिया का ।।
नित्य देखती स्वप्न , सजन थामे हैं बैया ।
पी करते मधु बात ,नींद छीने री दैया ।।
प्रीतम से अनुबंध, कई जन्मों का मेरा ।
अनुपम अति सम्बंध, राधा कृष्ण का घेरा।।
दिल में केवल चाह,मिलन हो चाँद निशा सा ।
टूटे कभी न प्रीत , लगे उर को अपना सा ।।
नैन सजाती ख्वाब, सावन मोरा अंगना ।
रूप लिया संवार , कब आयेगें सजना ।।
मुदित हृदय दिन रैन, प्रेम मिला उपहार है।
निर्मल मन आकाश, स्वप्न हुआ साकार है ।।
उषा झा
रूप लिया संवार , कब आयेगें सजना ।।
मुदित हृदय दिन रैन, प्रेम मिला उपहार है।
निर्मल मन आकाश, स्वप्न हुआ साकार है ।।
उषा झा
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