विधा :- ईश छंद
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घनश्याम नेह घेरे ।
जब मीत साथ मेरे ।।
उर प्रीत है बढ़ाये ।
विरहा नहीं सुहाये ।।
मुरली मुझे सुना जा ।
मन कामना जगा जा ।।
सुन ! नाग के नथैया ।
तुमसे खुशी कन्हैया ।।
मृदु बाँसुरी बजा जा ।
दृग स्वप्न ही सजा जा ।।
ब्रज रास तो दिखा जा ।
रस प्रेम का चखा जा ।।
उर कंठ प्यास जागे ।
मजबूत नेह धागे ।।
सच भावना हमारी ।
यह राधिका तुम्हारी ।।
प्रभु मान राखना है ।
सब हर्ष बाँटना है ।।
तुम ही उपासना हो ।
तुम पूर्ण साधना हो ।।
अब जिन्दगी तुम्हीं से ।
सब चैन भी तुम्हीं से ।।
नयना नहीं बहा तू ।
मनवा वही जहाँ तू ।।
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उषा झा
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