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प्रीत की रात है ।
राज की बात है ।।
तप्त ये गात है ।
नेह सौगात है ।।
प्रेम तो खास है ।
नैन में प्यास है ।।
कंत भी पास है ।
ईश की आस है ।।
जीत संसार लो ।
लक्ष्य को साध लो ।।
प्रीत को घोल लो ।
धीर को तोल लो ।।
दीप तो नेह के ।
ज्योत है प्रेम के ।।
गीत संगीत है ।
श्याम ही मीत है ।।
प्रीति को वार दो ।
रीति संवार दो ।
मान सम्मान हो ।
फर्ज का भान हो ।।
प्रीत को घोल लो ।
धीर को तोल लो ।।
दीप तो नेह के ।
ज्योत है प्रेम के ।।
गीत संगीत है ।
श्याम ही मीत है ।।
प्रीति को वार दो ।
रीति संवार दो ।
मान सम्मान हो ।
फर्ज का भान हो ।।
संग तेरा रहे ।
नेह धारा बहे ।।
सात फेरे कहे ।
मान रिश्ते रहे ।।
प्रेम के मोल से ।
मीत *दो बोल* से ।।
मोद घोले हिया ।
प्रेम भाये जिया ।।
प्रो उषा झा रेणु
स्वरचित देहरादून
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