विधा :- हंसमाला छंद
मापनी- 112 212 2
वन में मोर नाचे ।
मन के प्रीत बाँचे ।।
झुमके बूँद गाये ।
जग को प्रेम भाये ।
पिय ने नींद छीना ।
रति ने होश छीना ।।
जगती आँख जीना ।
अब तो दर्द पीना ।।
चमके मेघ काले ।
छलके नैन प्याले ।।
कजरी गीत गा ले ।
उर के खोल ताले ।।
सपने नैन डोले ।
रसना नेह घोले ।।
दिल के भेद खोले ।
पिय भी प्रेम तोले ।।
सजना ताज साजे ।
दिल के साज बाजे ।।
अब तो पास आओ ।
सुख के रैन लाओ ।।
घन छाये, रुलाये ।
विरहा भी जलाये ।।
तम की रैन जागूँ ।
खुद से नित्य भागूँ ।
चुपके ख्वाब आते।
मुझको क्यों जगाते ?
बस वो भाव खाते ।
मुझसे दूर जाते ।।
सहना पीर भारी ।
सजना धीर हारी ।।
लग जा अंग मेरे ।
रहना संग तेरे ।।
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