Saturday 30 September 2017

फरेब

फरेब करना भी
एक कलाकारी
है जनाब ..
बड़े ही शातिराना
चाल ये चलते ..
पहले धीरे धीरे
पास पहुँच कर
दिल में उतरते ..
फिर धीरे धीरे
मीठे जहर के
के तरह असर
करने लगता
दिलों दिमाग पर
और रिश्तों के जड़ो
को ही काटना
शुरू कर देता
 मीठी अपनी
चालाकियों से ..
डंके के चोट पर
की गई दुश्मनीं
से कोई आहत
न होता पर अपनों
 की फरेबी से
टूट ही जाता ..
सतयुग से कलयुग तक
सभी बड़ी लड़ाईयाँ
अपने के ही वार से हुई ..
सीता माँ भी धोखा खा गई
फरेबी रावण के माया जाल से ...

Friday 29 September 2017

सत्यमेवजयते

विजयादशमी है
उत्सव दानवों के
दमन का ..
सत्य की विजय
असत्य की हार
है सुनिश्चित ..
मद और बल में
चूर दानव न करता
यकीं पराजय का ..
धरती पे तांडव
नृत्य करता वो
अपराधों का ..
जनमानस जब
त्राही माम मचाते
तब लेती जन्म
माँ जगदम्बे करने
संहार दुष्टों का ..
देर से ही होता
सत्यमेव जयते ..
माँ जगदम्बे ले लो
आप जन्म दुबारा ..
 पापियों ने मचा
रखा है धरती पर
घोर अनैतिकता का ..
भाई भाई एक दूजे के
हो रहे हैं खून के प्यासे
बढ़ गया है ईर्ष्या द्वेष
आपसी षड्यंत्रों का ..
व्यभिचारी और अधर्मी
दूषित कर रहे समाज को
करो नाश इन असूरों का
माँ बहा दो धारा प्रेम का ..

Thursday 28 September 2017

खट्टे मीठे पल

कुछ खट्टे मीठे यादों का नाम जीवन 
कोई सुंदर सी बातें कर याद मगन मन
वक्त के पन्ने जाए फिर से एकबार पलट 
जी करता फिर से वो पल आए लौट ..
 तो वक्त के उन पहलू में जी लू कुछ पल
काश मिल जाए वो अनोखा पल ..

 कोई बेसुरी बतिया मन मुरझा देती
 कर याद उन दिनों की सिहर सी जाती
  मुश्किल है निकलना  दुख के भंवर से
 कोई भी न निकालते इस दलदल से ...
तकलीफों में होती है पहचान लोगों की
 देखा है गिरगिट सा रंग बदलना लोगों का..

भूले बिसरे पल के कई ऐसे सहचर ..
जो बने थे दुख के दरिया के किनारे   ..
वो बनके पतवार नैया डूबने न दिया
 हमारे वजूद को बिखरने से बचाया
ऐसे सखा की स्मृति कभी भूला न पाते ..
वरना लोग तो पीछे से टांग खिंचा करते

Wednesday 27 September 2017

बचपन वाला दशहरा

हे माँ दुर्गे कितने भी
बड़े पंडाल में करूँ 
आपकी अर्चना ..
कितने ही भक्ति भाव से
 करती हूँ आप की पूजा.
पर बचपन वाली
वो उल्लास भरी
आस्था मन को कहाँ मिलता ?
दादा जी के लिए
 मिट्टी का शिवलिंग बनाना ..
 बहनों से होड़ में अधिक
 बनाकर जीतना..
वो फूलवारी में फूल
चुनने जाना ..
रंग बिरंगे फूलों से
ड़ाली भरकर लाना ..
 देती थी खुशी मन को कितनी !!
काश वही दिन फिर से
आ जाए !!
नए नए कपड़े पहन
दादाजी और चाचाजी
सबसे अलग अलग
रूपये ले दोस्तों संग
  मेला घुमना ..
आह कितना अच्छा लगता ..
आज कल के बड़े बड़े
 कल्चरल प्रोग्राम
 देखने से भी अधिक
 गाँव का राम लीला
अच्छा लगता  ..
माँ भगवती की मूर्ति दर्शन
भोग ग्रहण कर भी
उतना आनंद ना मिलता
बचपन वाला दशहरा
कभी नहीं आता ..

Tuesday 26 September 2017

परवाज

मैं और मेरे सपने
जिसे परवाज देने में
खोयी रहती ..
रात दिन अथक प्रयास
करती रहती ..
जिन्दगी के पन्नों को
रंगों से भरने में
लगी रहती ..
सुहाने दिन यूँ न आते
जाने कितने दिन रात
तारों को देख
काटना पड़ता ..
गर सच्ची लगन
हो तो सपने को
हकीकत बन जाने से
कोई रोक नहीं सकता
सुहाने सफर
फूलों सी डगर
हर किसी की चाहत ..
जज्बे हो दिल में
सपनों को परवाज
देने का तो सपने
भी सच हो जाता

Monday 25 September 2017

🌹हो हर दिवस बिटिया की🌹

बेटियाँ हर घर की रौनक होती
बेटियों की हँसी से घर महकता
बन जाता घर आंगन फूलवारी
जब बिटिया फूलों सी खिलती ..
झरणों सी मीठी धुन जिया को भाता
घर में उसकी जब किलकारी गूँजती
माँ पिता की जान होती बिटिया
बिन बेटियों के घर सूना ही रहता..
दो दो घरों में रिश्तों को वो बुनती
हर घर की रिश्तों की नींव होती
खूबसूरती से निभाती हर रिश्तों को
हौसले से जग में उँचे मकां बनाती ..
गगन में स्वच्छंद विचरणे के लिए
बेटियों को परवाज दें हर माँ पिता
तो तारे भी तोड़ लाएगी वो जमीं पर
सफलताओं के झंडे लहराएगी हर ओर  ..
               

Sunday 24 September 2017

पुलकित

मेरा मन हमेशा
तुम्हें ही पुकारता ..
तुम्हारे होने का सबब
हर चीजों में ढूंढता ..
 तुम मेरे साथ हो न हो
तभी भी ऐसा लगता
तुम यहीं हो आस पास
तुम्हारे होने का अक्स
हर चीजों में मिलता ...
   भीनी भीनी
महकी सी खुशबू
 तुम्हारे मौजूदगी
का एहसास हर वक्त
मेरे रोम रोम को
 करता पुलकित ..
शायद तुम समझ
 भी नहीं पाते ..
तुम्हारे मौजूदगी में
मेरे मन मयूर कैसे
झूमने लगता ..
ये सोच तन्हाई में भी
मुझे एहसास होता
तुम यही हो मेरे पास !!!

Saturday 23 September 2017

हसीन लम्हें

यादों के वो हसीन लम्हें
खुशियों से भर देते दामन
हँसते गुनगुनाते बीत जाते
आह कितने सुहाने थे वो दिन
कट जाते थे रूठने मनाने में ..

वो सुंदर और सुहाने सपने
शीतल चाँदनी रातों में देखें
आशियाना प्रीत की छाँव में
मिलकर बुनाए थे हमदोंनो ने
सजाया ख्वाहिशों को हमनें
हकीकत के सर जमीन में ...

राह चुने थे जो,चल रहे धुन में
हाथों में तेरा हाथ हो डर कैसा
आए कितने झंझावात जीवन में
करेंगे मुकाबला हम आंधियों से
सफर कट जाते हैं सुकून से
साथी भरोसे मंद हो जिन्दगी में

जिन्दगी के हर गम मिल के सहे
सुख हो या दुख हम संग संग जिये
जीवन के हर रंग मिलकर ही देखें
पर न जाने कैसी अजीब बैचेंनी है
किसे पता कब तक संग साथ रहे 
कल हो न हो क्षण भंगुर जीवन में ..

 
 
  

Friday 22 September 2017

शेरोंवाली करों अत पापियों का

माँ दीन दुखियों की पुकार सुन लो
कलयुग घोर अनाचार का डेरा बना
पापियों का बढ गया है बोल बाला
कर दो संहार माता शेरोंवाली ..

शैतान दुष्ट हैवान बन कर घूम रहा है
तनिक भी दया धर्म न बचा उसमें शेष
जग में बड़ा ही कुकर्म वो कर रहा
 राक्षसों को भी वो मात दे रहा ..

क्या बच्चे , क्या बिटिया या फिर बेटा हो
अब तो बुजुर्गों को भी निशाना बना रहा
सीधे सरल का इज्जत से रहना कठिन है
अब तो जग में चैन से जीना भी मुश्किल है

हे महिषासुर मर्दिनी दानव बने मानवों से
इस जग को करो मुक्त पापियों के घातों से
आपकी कृपा से अनहोनी भी होनी हो जाय
लंगड़ा पर्वत लांघ जाय माँ आपकी दुआ से ...

Thursday 21 September 2017

सिंह की सवारिणी

माता दुर्गा रानी आती हर बार
खुशियों को ले के अपरमपार ।
हम दीन दुखियों को करने उद्धार
माँ करेगी मझधार से मेरा बेड़ा पार ।।

माता क्या कहूँ मैं हूँ बहुत अज्ञानी ?
किस विधि करूँ मैं आपकी पूजन ?
आप ही दिखा दो रास्ते,करो कुछ उपाय
अज्ञानता की पट्टी नैनों से मेरे खुल जाय ।।

माता रानी की कृपा जिस पर बरसती
 उसका कोई बाल बांका भी न कर पाता ।
 दुष्ट दानवों की संहारनीय माता अम्बे रानी
 सुहागिनों के सुहाग की रक्षा करती माँ भवानी ।।

माँ खड़गेश्वरी सिंह की सवारिणी नौ रूप में आती
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्माण्ड़ा
स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी व
सकल मनोकामनाओं को पूर्ण कर नव निधियों
को ले के आती महिषासुर मर्दिनी  ।।

Wednesday 20 September 2017

अदृश्य शक्ति

परछाई कभी दिखती नहीं
 हरदम संग संग साथ चलती
खुशबू कभी नजर नहीं आती
 पर हम हरपल महसूस करते ..

नेकी करने वाले जताते नहीं
बड़प्पन तो उन में होती ही नहीं
कर्तव्यों और सदाचार उसके
किरदार से दृष्टिगोचर होता ...

गुरुजन की दुवाएँ दिखती नहीं
उनके आशीर्वाद से बरकत होती
कुछ रिश्ते हमारे संग संग होते ..
वो हमें हर कदम राह दिखाते ..

ऐसे ही अदृश्य ईश्वरीय शक्ति
दिखती नहीं पर कण कण में है
विद्वमान उसे मन की आँखों से
महसूस करो तो समझ में आता..

Tuesday 19 September 2017

मोह

मेरे घर के पड़ोस में
दो बुजुर्ग मियाँ बीबी
बड़े ही प्यार से रहते थे ..
जीवन के प्रति लगाव
और जिवंतता देख मैं
अचरज में पड़ जाती थी ..
सुबह शाम दोनों जोड़े
धूप सेकते, कभी चाय
पीते दिख ही जाते ..
उम्र के इस पड़ाव में
जहाँ लोग आराम करते
वे लोग रात दिन घर को
चमकाने में लगे रहते ..
उनकी सक्रियता देख
मुझे आश्चर्य होता था
कि वे लोग तनिक भी
नहीं सोचते जाने कब
बुलाबा आ जाए ..
और हुआ भी वही
अब वो अकेले रह गए ..
फिर भी उनका मोह न
 कम हुआ  ..
मैं आज उनके घर गई
लगी समझाने ..
अकेले क्यों रहते ?
बेटा के साथ रह लो
अंकल ने कहा कैसे
ये सब दूँ मैं छोड़ ?
मैंने इतना खून पसीना
से घर जोड़ा ..
ये बच्चों के धरोहर हैं ..
बीमार रहकर भी
अकेले ही रहते  ..
मैं उन्हें देख कर
सोचने लगी जब तक
शरीर में प्राण है ..
सांसारिकता का मोह
न भंग होता ..

Monday 18 September 2017

यादों के अक्स

गुजरे हुए वक्त
अपने कदमों के
निंशा छोड़ जाती
राहों में ..
जिसे ढूंढा करते
हम वक्त के पन्नों में ..
हर एक चीज में
 हम अपने यादों के
अक्स तलाशते ..
मन को लगता
इधर उधर बिखरी
हुई है ढूंढने से
मिल जाएगी ...
पर मन तो ठहरी
कोमल कपोल
उसे क्या पता?
 बीते हुए लम्हे की
कशिश ही रह जाती ..
 कितना भी कोशिश
करो वो वक्त वापस
कभी न आते ...
वर्तमान में ही है
जीवन के हर पल
का लुत्फ ..
 

Sunday 17 September 2017

खंडहर

आज प्रातः कालीन
की सैर पर ..
मैंने देखा एक
आलीशान बंगला
जो बन गया अब
खंड़हर ..
जिसे देख मैं
सोचने लगी
कितने यत्न से
लोग संजोते हैं
एक घरौंदे को ..
हर एक चीज
पसंद के लगवाते..
जाने कहाँ कहाँ से
टाइल्स पत्थरों व
डिजाइन से सजाते
 अपने सपनों के
 बंगलों को..
एक से एक सुंदर
पेंटिंग करवाते ..
पर कहते हैं न !
हर एक चीज की
अवधि नियत होती..
सो मालिक के
रूखसत होते ही..
देखरेख के अभाव में
बंगाला भी खंड़हर में
तब्दील हो जाता ..
बनाने वाले जिस
अभिरुचि से बनाते
उसकी कदर दूसरे
को नहीं होती ..

Saturday 16 September 2017

पाकीजा इश्क

इजहार ए बयाँ इश्क का
क्या कहिए ..
कितना ही बुझा दो फिर भी
सुलग ही जाती है ..
ये वो चिंगारी है जो दिल ही
दिल में सुलगती रहती..
आँखों के पैमाने में छलकती
पर बँया करने से शर्माती ...
होते हैं कोई किस्मत वाले जो
 मिल जाते छलकते पैमाने को..
 संभालने ओर साथ निभाने
वाले साकी...
इश्क वो चिंगारी है जो देखते ही
देखते  फैल जाती फिजां में ..
और हो जाते हैं मशहूर इश्क
 करने वाले ..
कई किस्से तो हकीकत के अंजाम
तक पहुँचते ..
पर कईयों की कहानी रास्ते में ही
 दम तोड़ देती ...
जीवन भर का साथ मिले ना मिले
पर सच्चे प्रेमी इश्क की पाकीजगी
को महफूज रखते ..
और अपने प्रीतम के आंचल में
दाग न लगने देते ...

Friday 15 September 2017

औरतें अजीब होती

जीवन का भी
ये एक दौर है ..
हर तरफ शुकुन
ही शुकुन ..
फिर भी अजीब
सी तन्हाई है ..
एक वो भी दौर था
जब एक एक पल
 शुकुन के लिए
तरस जाती थी ..
हमेशा भागम भाग
का आलम था ..
फिर भी बच्चों को
लड़ते झगड़ते
हँसते बोलते देख
मन प्रफुल्लित रहता..
घर बिखरा रहता
फिर भी रौनक रहता ..
सच में औरतें
अजीब होती हैं ..
जब बच्चे छोटे रहते
तो लगता जल्दी जल्दी
बढ जाए ..
लेकिन जब बच्चे बड़े
होकर अपने मंजिल
की ओर बढ़ जाते ..
तो खुशियाँ अपार होती..
पर खालीपन सताने लगती
 और जी करता बच्चे
 छोटे ही रहते तो भले थे..
सच में औरतें अजीब
 होती है  ..

 

Thursday 14 September 2017

करें सम्मान हिन्दी का

हिन्दी हमारी राष्ट्रीय भाषा
बहुत सारे भाषाओं को
आत्मसात किये हुए है ..
 हिन्दुस्तान में हिन्दी
रीढ़ की हड्डी है ..
 पूरब से पश्चिम तक
जोड़ के रखती है ..
अनेकों को एक ही
भाषा में पिरोती है ..
पर मुट्ठी भर अग्रेजों
के चमचे हिन्दी बोलने
 में कतराते हैं ..
अपने ही घर में
सौतेलेपन का शिकार
बन गयी है हिन्दी ..
 कुछ लोग हिन्दी बोलने
 वालों को हेय दृष्टि से
 देखते है..
अंग्रेज चले गए पर
 गुलामी की मानसिकता
छोड़ गए ..
उँची सोसायटी में
हिन्दी बोलना तुच्छ
समझते हैं लोग ..
अपने ही लोग
 रीढ़ की हड्डी
तोड़ने में लगे हैं ..
हिन्दी हमारी सभ्यता
 और संस्कृति में
  रची बसी है ..
दूसरे भाषा का
 करें सम्मान ..
पर अपनी भाषा का
न करें अपमान ...

Wednesday 13 September 2017

वो नीम के पौधे

कुछ लोग जिन्दगी में
 नीम के पौधे जैसे होते हैं
जो होते तो हैं वो
कड़वे मिजाज के पर
अपने औषधिय युक्त
 कड़वी घूँट पिला 
 भविष्य के निर्माण
को ऊँचाइयाँ बख्सते ..
और जीवन को स्वस्थ
छायादार आबोहवा  
के तले पनपने देते ..
वो हमारी भूलों को सुधार
 कुमार्ग के पथगामी
  बनने से बचाते ..
रूग्ण मानसिकता से मुक्त
 करते जीवन को ..
ऐसे लोगों की कीमत
बाद में ही पता चलता ..
वो हमें ऐसी सीख दे जाते
कि उन्हें कभी भूल नहीं पाते ..
उनके उसूलों में
 वो ताकत होती ..
जो गलतियों के करतूतों
से बचाव का मार्ग
 प्रशस्त करते ...
पर हम अनायास ही
उनसे खफा रहते ..
उनकी बातें हमें
तनिक न सुहाती..
 बाद में पता चलता
कि वो हमारे भविष्य के हीत
में  कितने गुणकारी हैं ..
जीवन संवारने के लिए
ऐस लोगों की उपस्थिति
बहुत उपयुक्त होता ...

Tuesday 12 September 2017

समर्पण

आज भी तुम मेरे
एक एक बातों का
इतना ख्याल रखते ..
यही गुण से तुम्हारे
मैं वारी वारी जाती ..
कुछ तो है अगले
जन्म का पूण्य मेरे
जो इतने नाजो नखरों
 को इतने प्यार से निभाते ..
ऐसा नहीं है जो
कोई गिले शिकवे
न होते हम दोनों में ..
पर जल्दी ही तुम मान जाते
मैं भी अपना गुस्सा
जल्दी ही ख्तम कर देती ..
शायद तुम्हारे समर्पण
के आगे मैं झुक जाती ..
प्रीत का पहला शर्त
एक दूसरे के ख्याल में
दोनों के बीच अहंकार से
बचाव में  ...




Monday 11 September 2017

खुद से दोस्ती

जिन्दगी जीने के लिए
खुद से दोस्ती कर ले..
लोगों का क्या है उन्हें हर
 चीजों में ढूंढना है सवाल ..
न कर किसी चीजों का मलाल
सोच तू है सबसे बेमिसाल ..
छोड़ दे तू लोगों का परवाह
सोच जिन्दगी एक उपहार है ..
तू सुन ले अपने मन की आवाज
कर ले अपने मुश्किलों का इलाज ..
यहाँ कदम कदम पर लगते हैं ठोकरें
कानों को चूभते शब्दों के तीरें ..
थाम ले सत्य और स्नेह के डोर
तुम चलते रहो मंजिल की ओर ..
खुद को सोच तू है नायाब
नहीं है तेरा कोई जवाब ..
विश्वास रख खुद पर
फिर देख जिन्दगी के
अपने सारे रंगों को ..
जिन्दगी जीने के लिए
खुद से दोस्ती कर ले ..

Sunday 10 September 2017

गुण सर्वत्र पूज्यते

कोयल को देख
लोग फेर लेते आँख
जैसे ही मधुर तान
वो छेड़ती
लोग मंत्र मुग्ध हो
 खींचे चले आते ..
शायद ही कोई हो
जिसे कोयल के मधुर 
सु मोहित न करे ..
भले ही देख रूप को
क्षणिक मोह पास में
बाँध ले लोगों को ..
पर टिकाऊ रिश्ते
गुणवत्ता से ही बनते ..
प्रीत के हर रंग
सच्चे स्नेह के धागे
में ही निहित होता ..
एक फल "महकार"
ऊपर से बहुत सुंदर
दिखता पर ..
जब खोलो तो
कुछ न मिलता
सो रूप देख भ्रमित
न हो कोई ..
गुण सर्वत्र "पूज्यते"

Saturday 9 September 2017

मानव रूपी भेड़िया

आज एक नन्हा प्रद्मुम्न
की नृशंस हत्या ..
 मानवता के नाम
कालिख पोत दिया ..
गुडगाँव के रेयान
इन्टरनेशनल स्कूल के
बस ड्राइवर ने बाथरूम
मे ही कूकृत्य किया ..
इंसान के भेष में खाल पहन
रक्खा है भेड़िया..
 कितने लाचार
हो गए हैं माँ बाप ?
अपने बच्चों को
अच्छे स्कूलों में शिक्षा
देने की किसको
लालसा नहीं होती ?
हर माता पिता
अपने से उँचे पद पर
बच्चों को पहुँचाना चाहते ..
स्कूल की मोटी फीस
लेकर भी स्कूल प्रशासक
बच्चों को सुरक्षित
न रख पाते ..
किसी आंगन के फूल
को कूचल डालना
धिक्कार है ऐसे कान्वेंट
स्कूलों के करतूतों पर ..

Friday 8 September 2017

उम्मीद

कभी नहीं भरता
उम्मीदों का दामन
एक पूरी हुई नहीं
कि दूसरे के लिए
मन मचलने लगता ..
उम्मीद ऐसे पालो
जिसके पूरे होने के
आसार हो ..
अधिक उम्मीदों की
चाहत ले डूबता ..
रिश्ते गर बिन उम्मीद
का हो तो खूब टिकता ..
किसी से उम्मीद में बंधा
रिश्ता टूटने से दर्द
 भी बेपनाह होता ..
मन तू छोड़ दे किसी के
उम्मीदों का आंचल ..
 गर हैं सच्चे रिश्ते तो
 खुद चले आएँगे चाहे
 हो कितने ही जल जले ...

Thursday 7 September 2017

तर्पण

बिछुड के चले गए जो दिवंगत
 सजल नयनों से याद करती हूँ ..
पितृपक्ष में उनको देकर श्रद्धांजलि
अपने अश्रु से ही तर्पण करती हूँ ..
खोया हुआ उनका वो स्थान
कभी कोई भर नहीं सकता है ..
स्मृति पटल पर उनकी यादें मधुर
 अपने मन मंदिर में रख ली हूँ संजोकर..  
सच से कितना ही भागों
 पर सबकी यही गति  ..
एक दिन सबको जाना ही है 
जीवन की यही नियति ..  
वो वापस आ नहीं आ सकते
चाहे कितना ही रो लो ..
पर मन को समझाना है
 बड़ा ही मुश्किल..
उनके दिखाए मार्गदर्शन
पर चलना ही है सच्ची तर्पण ..

Wednesday 6 September 2017

अस्तित्व

जीवन सफर में बढ़ता हुआ कदम
किसी हमसफर का न हमकदम
ढूंढना ही होगा खुद का अस्तित्व
राहों की दुश्वारियों को करते हुए अंत
मन चल ढूंढते हैं अपनी मंजिलों को ..

जीवन सफर में कारवाँ हजारों
देते नहीं साथ राहों में कोई रहगुजर
अकेले ही चलना है खुद का डगर
अपना निशाना टिकाके लक्ष्य पर
मन चल ढूंढते हैं अपनी मंजिलों को ..

रिश्ते नाते की बगीया है जीवन के शोपीस
मुश्किलों में आगे न आते देते न कोई साहस ..
हिम्मत से ही दुख की बदलियों से निकलते 
सुख के सूरज की रौशनी जीवन में बिखेरते
मन चल ढूंढते हैं अपनी मंजिलों को ..

Tuesday 5 September 2017

बिन गुरु ज्ञान नहीं

जीवन पथ पर बढता चला नन्हा
कोरा कागज सा है उसका जीवन ।।

गुरु कुम्हार बन सार्थक रूप गढ़ते
भविष्य निर्माण में दिन रैन लगाते ।।

कमजोरियों को दूर भागकर मजबूत बना
 जीवन को शिखर तक पहुँचाते ।।

दीपक बन ज्ञान का ज्योत जगाने वाले गुरु
 जीवन को  विद्या से  प्रकाशित  करते   ।।
 
सबमें अपरिमित ज्ञान की उचाइयाँ बख्सकर
गगन में उड़ने के लिए गुरु परवाज बनते ।।

बिन गुरु वैसे ही जैसे जीवन नैया बिन पतवार
गुरु ही जीवन के सफलता का आधार ।।







 

Monday 4 September 2017

स्निग्धता

ख्वाबों की बीज
मैंने बोयी
अपने खून पसीने से
सहेजती रही
अनमोल खजाने
 की तरह
 प्रीत की स्निग्धता से ..
ख्वाबो की जड़ें 
मजबूत हो ..
बिखरने न पाए
दुनियाँ के बेदर्द फितरतों से ..
इसलिए सींचती रही
खाद पानी से हसरतों को
अपने संवेदनाओं के
 अप्रतिम समर्पित
प्रीत की स्निग्धता से ..
पर वक्त की आँधी
सब तहस नहस न कर दे
 हमारी हसरतें ..
डरती हूँ जमाने की
पैनी निगाहों से ..
कभी कोई आँधी
हमारे बगीया की
शाखाओं को तोड़ने न पाए
उड़ा न डाले फूलों को ..
इसलिए हकीकत के
जमीन पर मजबूती से
जमाए हुए हूँ
अपने पाँव को...

Sunday 3 September 2017

जान

मुझे अब भी याद है
तुम्हारे आँखों का
 वो कशिश ..
 कैसे मैं बंध गई ?
उम्र भर के लिए  ..
बगैर कोई संवाद के ही
आँखें सब बोल देती ..
यादों के भंवर से
मैं अब भी
निकल नहीं पाती ..
एक अजीब सी
एहसास में खो जाती ..
तुम्हारे आने पर
एक मीठी सी हलचल
दिल में शोर मचा देती ..
सचमुच मैं अब भी
खुद पर और
अपने चुनाव पर
फक्र हूँ करती ..
हमारे प्रीत की
गहराईयाँ सागर से
भी अधिक ...
तुझमे मेरी जान
हमेशा से ही बसती..
तुम्हें पाकर मैं
अपने किस्मत
पर इतराती ..
कभी कभी सोचती
तुम मेरे किसी जन्म के
तपस्या का हो वरदान
हाँ हो सचमुच तुम मेरी जान..




Saturday 2 September 2017

बेवक्त का बदलाव

लोगों की बदलती फितरत
रिश्तेदारों का रंग बदलना
दोस्तों का अनायास रूठना
दिलों को तोड़ ही डालती है ..

 निरोग काया का रूग्ण होना
स्वजनों से असमय बिछोह
संतान के मार्ग से भटकाव
उम्मीद की आस डुबा देती है ..

अनुमान के परे व्यापार में मंदी
मौसम का बेवजह बदलना
खेतों का पानी बिन तरसना
कभी बिन बदरा के बरसात
कृषकों का कमर टूट जाता है ...



Friday 1 September 2017

रूत का पैगाम

शोख चंचल पवन इत उत डोल
 मेरा आचंल लहरा मन को उड़ा
लिए जाए पिया के देश ..
ये रूत तेरे आने का पैगाम दे रहे ..
 
बागों में चटकती कलियों से
भीनी भीनी खुशबू महक रहे
भंवरे की गूँजन कर रहे मदहोश ..
ये रूत तेरे आने का पैगाम दे रहे ..
 
मोर होकर विभोर नाच रहा
पपीहे का मधुर संगीत कानों में
मिश्री घोल, दे रहा पिया का संदेश  ..
ये रूत तेरे आने का पैगाम दे रहे ..

अब आ भी जाओ पिया 
रह रह के जाऊँ पंथ निहार 
मैं कब से खड़ी हूँ तेरे आस ..
ये रूत तेरे आने का पैगाम दे रहे ..